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________________ मंगल प्रवचन हुआ तथा प्रभावना हुई। महोत्सव का प्रारम्भ हुआ। कुम्भ-स्थापनादि कार्य हुए। प्रतिदिन प्रवचन, प्रभुपूजा, दोनों टंक स्वामीवात्सल्य तथा रात को भावना का कार्य चलता रहा। __ पौष [महा] वद १ रविवार दिनांक २२-१-८६ के दिन पूज्यपाद प्रा. म. सा. चतुर्विध संघ सहित बाजते-गाजते बैन्ड युक्त पधारे (१) श्री नेमीचन्दजी प्रेमचन्दजी गोखरू के घर पर । (२) श्री मांगीलालजी बाबूलालजी सेठिया के घर पर। (३) श्री रोशनलालजी अशोककुमारजी सेठिया के घर पर । इन तीनों स्थलों में पगलियाँ होने के पश्चाद् ज्ञानपूजन, मांगलिक, प्रतिज्ञा एवं संघ-पूजा के कार्य हुए । * पौष [महा] वद २ सोमवार दिनांक २३-१-८६ के दिन भी पूज्यपाद आचार्य म. सा. आदि पूर्ववत् बाजते-गाजते पधारे (१) श्री गोविन्दसिंहजी मोदी के घर पर । ( १७ )
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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