SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शाश्वत जिनमन्दिरों तथा जिनमूत्तियों की संख्या निम्नलिखित है + देवलोक-संख्या 9 (१) सौधर्म देवलोक में-बत्तीस लाख (३२०००००). (२) ईशान देवलोक में-अट्ठावीस लाख (२८०००००) (३) सनत्कुमार देवलोक में-बारह लाख (१२०००००) (४) माहेन्द्र देवलोक में -आठ लाख (८०००००) -(५) ब्रह्मदेवलोक में चार लाख (४०००००) (६)लान्तक देवलोक में-पचास हजार (५००००) (७) महाशुक्र देवलोक में-चालीस हजार (४००००) (८) सहस्रार देवलोक में-छह हजार (६०००) (९) प्राणत देवलोक में-चार सौ (४००) (१०) प्राणत देवलोक में-चार सौ (४००) (११) पारण देवलोक में-तीन सौ (३००) (१२) अच्युत देवलोक में-तीन सौ (३००) . उक्त इन बारह देवलोक में रहे हुए चैत्यों की संख्या चौरासी लाख छन्नू हजार सात सौ (८४९६७००) है।
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy