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* देव-गुरु-गीत *
कर्त्ता - पूज्याचार्य श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. ( राग - गजल )
भूलूं मैं विश्व
सुखी होऊँ या दुःखी भी होऊँ,
सब माया,
न भूलू देव- गुरुवर को ।
न भूलू देव गुरुवर को ॥ १ ॥
अमीरी या फकीरी में,
पर प्राणान्त
अगर हूँ पर्णकुटी में
जीवन की विकट स्थिति में,
न भूलू देव गुरुवर को ।। २ ।।
विपत्ति के पहाड़ टूटे,
विश्व समस्त भी रूठे । भोगे मैं,
न भूलू देव गुरुवर को ।। ३ ।।
में,
कभी भी गाढ़ जंगल में ।
में.
न भूलू देव गुरुवर को ॥ ४ ॥
देश-विदेश
कभी भी
कभी हूँ गृह - महेलो