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परिशिष्ट-3
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सकल-तीर्थ-वन्दना Chann wowwwwwn कर्ता-मुनिराज श्री जीवविजयजी महाराज सकल तीर्थ वंदु कर जोड़ ,
जिनवरनामे मंगल कोड । पहेले स्वर्गे लाख बत्रीश ,
जिनवरचैत्य नमु निशदिश ॥ १ ॥ बीजे लाख अठ्ठावीस कह्यां ,
त्रीजे बार लाख सदह्यां । चौथे स्वर्गे पड़ लख धार ,
पांचमे वंदु लाख ज चार ॥ २ ॥ छ? स्वर्गे सहस पचास ,
सातमे चालीस सहस प्रासाद । पाठमे स्वर्गे छः हजार ,
नव-दशमे वंदु शत चार ।। ३ ॥ अग्यार - बारमें त्रणसें सार ,
नव अवेयके त्रणसें अढ़ार । पांच अनुत्तर सर्वे मली ,
लाख चोरासी अधिकां वली ॥ ४ ॥