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________________ ( १०० ) (५) जिनमंदिर जाने के लिए राह में अल्प चलने पर पांच उपवास का फल मिलता है । (६) जिनमंदिर जाने के लिए अर्द्ध पथ आते ही पंद्रह उपवास का पुण्य प्राप्त होता है। (७) जिनमंदिर का दर्शन होने पर अर्थात् जिनमंदिर दिखने पर मासक्षमण का यानी एक महीने के उपवास का फल मिलता है। (८) जब जिनमंदिर के समीप पाता है तब छह मास यानी छह महीने के उपवास का पुण्य प्राप्त करता है। (६) श्रीजिनेश्वरदेव की मूत्ति-प्रतिमा के दर्शन का अभिलाषी जब मंदिर के द्वार-दरवाजे के पास पहुँचता है तब एक वर्ष के उपवास का फल प्राप्त करता है । (१०) जिनमंदिर में तीन प्रदक्षिणा देने से सौ वर्ष के उपवास का फल मिलता है । (११) देवाधिदेव श्रीजिनेश्वर भगवान की मूत्तिप्रतिमा की पूजा करने से एक हजार वर्ष के उपवास का फल मिलता है।
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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