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________________ अपने परम पूज्य प्रगुरुदेव प्राचार्यप्रवर श्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वर जी महाराज साहब के साथ में रहकर और चातुर्मास में ही लिख कर सुन्दर तैयार किया था। इसी लघुग्रन्थ को आज हमारी समिति ने २०४६ की साल में प्रकाशित किया है। यह कण्ठस्थ करने योग्य और व्याख्यान में अति उपयोगी है। इसका सम्पादन कार्य पूज्यपाद प्राचार्य महाराजश्री के विद्वान् शिष्यरत्न पूज्य पंन्यास श्री जिनोत्तम विजय जी गणिवर्य ने सुन्दर किया है। इस ग्रन्थ का पुरोवचन लिखने वाले डॉ. चेतनप्रकाश जी पाटनी ने ग्रन्थ के स्वच्छ, शुद्ध एवं निर्दोष प्रकाशन का कार्य अपनी देख-रेख में सुसम्पन्न किया है। पूज्यपाद प्राचार्य महाराज साहब की आज्ञानुसार हमारे प्रेस सम्बन्धी कार्य में पूर्ण सहकार देने वाले जोधपुर निवासी श्री सुखपाल चन्दजी भंडारी आदि हैं । इन सभी का हम हार्दिक आभार मानते हैं। -प्रकाशक ( ८ )
SR No.002337
Book TitleDharmopadesh Shloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1993
Total Pages144
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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