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* श्री नेमि-लावण्य-दक्ष-सुशील ग्रन्थमालारत्न ८७ वा *
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श्रीजिनमूर्तिपूजा-सार्ध शतकम् ॥ [ संस्कृतभावार्थमयं-हिन्दी अनुवाद युक्तम् ]
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- विरचितम् - शासनसम्राट-सूरिचक्रचक्रवत्ति-तपोगच्छाधिपति-महाप्रभावशालि - श्रीकदम्बगिरिप्रमुखानेकतीर्थोद्धारक - परम - पूज्याचार्यमहाराजाधिराज श्रीमद् विजय नेमिसूरीश्वराणां दिव्यपट्टालङ्कार-साहित्यसम्राट्-व्याकरणवाचस्पति - शास्त्रविशारद-कविरत्न-परमपूज्याचार्यप्रवर श्रीमद्विजयलावण्य- ala · सूरीश्वराणां प्रधानपट्टधर-संयमसम्राट-शास्त्रविशारद-कवि८ दिवाकर - व्याकरणरत्न - धर्मप्रभावक - परमपूज्याचार्यवर्य
श्रीमद्विजयदक्षसूरीश्वराणां सुप्रसिद्धपट्टधर-जैनधर्मदिवाकर-जिनशासनशणगार-तीर्थप्रभावक-शास्त्रविशारद - साहित्यरत्न - कविभूषण - प्रतिष्ठा शिरोमणि - राजस्थानदीपक
मरुधरदेशोद्धारकेतिपदसमलङ्कृतेन प्राचार्य श्रीमद्विजयसुशीलसूरिणा।
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