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३०. केवलज्ञान : आयु के ५६ वें वर्ष के प्रारम्भ में
केवलज्ञान प्राप्त किया। . ३१. केवलीपर्याय : १६ वर्ष तक । ३२. अनशन : अन्तिम अवस्था में अनशन पादोप
गमन का किया। ३३. संलेखना : अन्तिम अवस्था में संलेखना एक मास
के उपवास की की। ३४. कर्मक्षय : चार घातो और चार अघातो सभी
कर्मों का सर्वथा क्षय किया। ३५. आयुष्य : सम्पूर्ण आयुष्य ७४ वर्ष । ३६. निर्वाण : सम्पूर्ण आयुष्य ७४ वर्ष का पूर्ण करके
विभु श्री महावीर परमात्मा की विद्यमानता में ही, मगधदेश की
राजगृही नगरी के वैभारगिरि पर सकल कर्म का क्षय करके निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया। मोक्ष में उनकी आज भी सादि अनंत स्थिति प्रवर्त रही है और भविष्य में भी सर्वदा ऐसी रहेगी।
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