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________________ प्रेरक : सम्पादक : . जैनधर्म दिवाकर-शासन- राजस्थानदीपक - मरुधररत्न - तीर्थप्रभावक- देशोद्धारक-शास्त्रविशारद परमपूज्य आचार्यदेव परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयसुशील श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. ' के पट्टधर - शिष्यरत्न | सूरीश्वरजी म. सा. के सुमधुरभाषी विद्वान् शिष्य रत्न पूज्य उपाध्यायजी महा- सुमधुर प्रवचनकार राज श्रीविनोदविजयजी पूज्य मुनिराज श्री गरिगवर्य जिनोत्तमविजयजी म. श्री वीर सं. २५१३ विक्रम सं. २०४३ नेमि सं. ३८ प्रतियाँ - १००० प्रथमावृत्तिः मूल्य २५ रुपये ॐ मंगलकारी - स्तुति मङ्गलं भगवान् वीरो, मङ्गलं गौतमप्रभुः ।। मङ्गलं स्यूलभद्राद्याः, जैनधर्मोऽस्तु मङ्गलम् ॥१॥ उपसर्गाः क्षयं यान्ति, छिद्यन्ते विघ्नवल्लयः । मनः प्रसन्नतामेति, पूज्यमाने जिनेश्वरे ॥२॥ सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं, सर्वकल्याण कारणम् । प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयति शासनम् ॥३॥ प्रकाशक : मुद्रक : प्राचार्य श्री सुशीलसूरि ताज प्रिण्टर्स जैन ज्ञान मन्दिर जोधपुर .. शान्तिनगर, सिरोही राजस्थान [मारवाड़] राजस्थान
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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