________________
• श्री नादारणातीर्थ में पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. की शुभ निश्रा में नाडोलनिवासिनी बालब्रह्मचारिणी कुमारी पवनबहन की भागवती दीक्षा विधिपूर्वक हुई। नूतन साध्वीजी का नाम श्री पद्मयशाश्रीजी रक्खा। पूज्य साध्वी श्री गरिमाश्रीजी की शिष्या पूज्य साध्वी श्रीवल्लभश्रीजी की शिष्या बनी। पूजा-प्रभावना हुई। पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. आदि जवाली से विहार कर शाम को श्री नादाणातीर्थ में पधारे । • वैशाख सुद सप्तमी के दिन जवाली में प्रात: द्वारो
द्घाटन की विधि हुई। सत्तरहभेदी पूजा प्रभावना युक्त पढ़ाई गई। स्वामीवात्सल्य भी हुआ। परमशासनप्रभावनापर्वक प्रतिष्ठा महोत्सव कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हुआ। यह प्रतिष्ठा-महोत्सव जवाली के इतिहास में सुवर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।
चाचोरी में श्री सिद्धचक्र महापूजन
- वैशाख सुद ७ मंगलवार दिनांक ५-५-८७ के दिन तीर्थप्रभावक परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि के श्रीनादाणातीर्थ से चाचोरी
( १८० )