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की ओर से बैन्ड युक्त स्वागत हुआ। जिनदर्शन के बाद पूज्यपाद आचार्य म. सा. का मंगलप्रवचन हुआ। बाद में प्रभावना हुई।
प्रतिष्ठा-महोत्सव का मंगल कार्यक्रम (१) वैशाख (चैत्र) वद १२ शनिवार दिनांक २५-४-८७ के दिन प्रतिष्ठा-महोत्सव का प्रारम्भ हुआ । प्रतिदिन व्याख्यान, पूजा, प्रभावना, प्रांगी, रोशनी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा। सार्मिक भक्ति भी अहर्निश चालू हो गई। उसी दिन श्री पंचकल्याणकपूजा पढ़ाई गई।
(२) वैशाख (चैत्र) वद १३ रविवार दिनांक २६-४-८७ के दिन कुम्भस्थापना, अखण्डदीपक, जवारारोपण की विधि हुई। श्रीनवपदजी की पूजा पढ़ाई गई ।
(३) वैशाख (चैत्र) वद १४ सोमवार दिनांक २७-४-८७ के दिन श्री वीशस्थानक की पूजा पढ़ाई गई।
(४) वैशाख (चैत्र) वद १५ मंगलवार दिनांक २८-४-८७ के दिन पूज्यपाद आचार्य म. सा. पधारे हुए पूज्य पंन्यास श्री धरणेन्द्रसागरजी म. तथा पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म., इन तीनों के प्रवचन का लाभ
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