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जैनधर्मदिवाकर प. पू. प्राचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय सशील सूरीश्वरजी म. सा. के
पट्टधर शिष्यरत्न
Kahakaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaang
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पू. उपाध्याय श्री विनोद विजयजी गरिणवर्य ySSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS)