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रचना अत्यन्त समयानुरूप है, उपादेय है और आध्यात्मिक बुभुक्षा के लिये अमृत भोज्य के समान है। व इति शुभम् ।
पं. श्रीहीरालाल शास्त्री एम.ए विजयादशमी
भाग्योदय ज्योतिष सदन दिनांक २-१०-८७ विद्यादेवी निवास
राजेन्द्रनगर, जालोर (राज.)
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