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________________ नीतिशास्त्र की परिभाषा / 67 पाश्चात्य चिन्तन किन्तु पश्चिम की विचारधारा में आध्यात्मिक पुट नहीं रहा। वहाँ नीति केवल समाजपरक ही रही। वहाँ नीतिशास्त्र की परिभाषाएँ तथा नीतिशास्त्रकारों के विचार बाह्य परिस्थितियों पर आधारित रहे। उनका मनोवैज्ञानिक, भौतिक, दृष्टिकोण ही प्रमुख रहा। समाज की सुव्यवस्था तथा भौतिक उन्नति ही वहां एक मात्र लक्ष्य रहा। आधुनिक पाश्चात्य चिन्तकों ने नीतिशास्त्र का कला और विज्ञान इन आधारों के रूप में अपना चिन्तन प्रस्तुत किया है। विज्ञान के भी वहां तीन प्रमुख भेद किये गये हैं-(1) नियामक विज्ञान (Normative Science) और (2) विधायक अथवा प्राकृतिक विज्ञान (Positive or Natural Science) और (3) व्यावहारिक विज्ञान (Practical Science) भारतीय चिन्तन में जिसे शास्त्र कहा गया है, उसमें विज्ञान भी गर्भित है, क्योंकि विज्ञान का शाब्दिक अर्थ विशेष ज्ञान होता है। जैसे-भारत में आयुर्वेद को शास्त्र कहा गया; किन्तु पश्चिमी विद्वानों ने इसका नाम चिकित्सा विज्ञान (Medical Science) दिया। इसी तरह जो ज्ञान भारत में ज्योतिष शास्त्र कहलाया उसे ही पश्चिमी विद्वानों ने अंतरिक्ष विज्ञान, ज्योतिष विज्ञान आदि नाम दिये। जबकि ज्योतिष शास्त्र में भी खगोल विद्या, सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र की गति, उदय-अस्त, ग्रहण आदि का अध्ययन होता है और वही अध्ययन अन्तरिक्ष विज्ञान में भी किया जाता है। यह भी यहां समझना भूल होगा कि भारत ने भौतिक, गणित आदि के क्षेत्र में विशेष रुचि नहीं ली, अतः यहाँ विज्ञान का (भौतिक विज्ञानों के सन्दर्भ में) विशेष विकास नहीं हुआ। भगवती सूत्र में पुद्गल, परमाणु, स्कन्ध आदि के सम्बन्ध में विशेष सारगर्भित और गहन ज्ञान उपलब्ध है, उसे ही पश्चिम परमाणु विज्ञान (Atomic Science) कहता है। इसी प्रकार की स्थिति शास्त्र और विज्ञान के सन्दर्भ में रही है। भारतीय मनीषियों ने जिसे शास्त्र कहा, उसे पश्चिमी लोगों ने विज्ञान नाम से अभिहित किया। इसलिए श्री विल ड्यूरेन्ट ने विज्ञान की परिभाषा देते हुए कहा कि जो विश्लेषण करे, वह विज्ञान है। 1. विशिष्य अनेन ज्ञानं, इति विज्ञानम्। -अमर कोष 2. Science is an analytic description. ---Will Durant : Story of Philosophy, Introduction, p. xxvii.
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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