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422 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
सम्पूर्ण विवेचन से स्पष्ट है कि जैन नीति का आधार अहिंसा है और अहिंसा का हार्द है समत्व। यही अहिंसा की पराकाष्ठा है।
जैन-नीति का साधक अपने दृढ़ कदम समत्व की उपलब्धि की ओर बढ़ाता है, क्योंकि कहा है
सम्मत्तदंसी न करेई पावं
(समत्वदर्शी कोई पाप नहीं करता) और नीति की भाषा में समत्वदर्शी पूर्ण नैतिक होता है। इसी बिन्दु पर मानव को पहुँचाने का लक्ष्य नीतिशास्त्र का है। नीतिशास्त्र विशेष रूप से जैन नीतिशास्त्र का यही केन्द्र बिन्दु (Central orbit) है जिसके चारों ओर नीति का संपूर्ण ताना-बाना बुना हुआ है।