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________________ अधिकार-कर्तव्य और अपराध एवं दण्ड / 389 कर्तव्यों और अधिकारों में पारस्परिक सम्बन्ध (Inter-relation between duties and rights) कर्तव्य और अधिकार दोनों ही परस्पर घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं। ये दोनों अन्योन्याश्रित हैं। एक के बिना दूसरे की अवस्थिति ही नहीं है। प्रत्येक अधिकार के साथ कर्तव्य संलग्न है और प्रत्येक कर्तव्य अधिकार अर्जित करता है। अतः ये दोनों परस्पर सापेक्ष हैं। __गांधीजी ने सत्य ही कहा है-हमें अपने कर्तव्य करते रहना चाहिए, अधिकार तो स्वयंमेव प्राप्त हो ही जायेंगे। वस्तुस्थिति यह है कि कर्तव्य और अधिकार दोनों ही सिक्के के दो पहलू कर्तव्य और अधिकार दोनों ही नैतिक बाध्यताएँ (Moral obligations) हैं और समाज पर आधारित हैं। समाज व्यक्ति को अधिकार देता है तो उससे यह अपेक्षा करता है कि वह अपने अधिकारों का प्रयोग समाज हित में करेगा और कर्तव्यों का निर्धारण करते समय भी समाज जन-हित की अपेक्षा करता कर्तव्याकर्तव्य विचार (Casuistry) कभी-कभी व्यक्ति को दो कर्तव्यों में विरोध अनुभव होता है, उस समय वह दविधा में पड़ जाता है कि उन विरोधी कर्तव्यों में से किसका पालन करे और किसका न करे। उदाहरणार्थ-कोई अवांछनीय तत्व (गुण्डा) किसी व्यक्ति के नोटों से भरे हैण्डबैग को छीनना चाहता हो तो उस व्यक्ति पर पिस्तौल चलाये या नहीं ? यदि पिस्तौल चलाता है तो जीवन रक्षा के कर्तव्य से च्युत होता है और नहीं चलाता है तो सम्पत्ति सुरक्षा के कर्तव्य से। इसी प्रकार एक डाक्टर मृत्यु के निकट रोगी को बता देता है कि 'तुम जीवित नहीं बचोगे' तो वह उसको घोर कष्ट पहुँचाता है और उसकी मृत्यु को तीव्रता प्रदान करता है, इस प्रकार जीवन के सम्मान के कर्तव्य से च्युत होता है और यदि उसे झूठा धैर्य देता है कि 'तुम स्वस्थ हो जाओगे' तो वह सत्य से च्युत होता है।
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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