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________________ नैतिक प्रत्यय / 127 नैतिक प्रत्ययों के रूप में, भारतीय शास्त्रों में वर्णित, विद्यारम्भ तथा विवाह-इन दो संस्कारों का उल्लेखनीय महत्व है। विद्याप्राप्ति नैतिक जीवन व्यतीत करने की पूर्वभूमिका है, नींव है और विवाह के बाद का सामाजिक, वैयक्तिक, पारिवारिक उत्तरदायित्वों का वहन विद्या से प्राप्त नैतिक सिद्धान्तों का क्रियान्वयन है। उपसंहार इस प्रकार नीतिशास्त्र के विविध प्रत्यय (concepts) हैं। यह एक प्रकार से प्रतिमान है। इन प्रत्ययों का प्रमख कार्य मानव की रुचि, प्रवृत्तियों तथा स्वभाव का निर्माण करके नैतिक जीवन जीने का पुष्ट आधार प्रस्तुत करता है। जैसा कि श्री मैकेन्जी ने नैतिक जीवन के विषय में कहा है __ नैतिक जीवन का अर्थ ही चरित्र निर्माण अथवा निश्चित आदतों का निर्माण है।' ____ और यही कार्य ये विभिन्न नैतिक प्रत्यय करते हैं। यह व्यक्ति को विश्वासयोग्य तथा चरित्रवान बनाते हैं। 1. The moral life means the building up of character, i.e., it means the forming of definite habits of action. -Mackenzie, J. S.: A Manual of Ethics, p. 75
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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