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________________ नीतिशास्त्र की प्रकृति और अन्य विज्ञान / 79 नीतिशास्त्र का अन्य विज्ञानों से संबंध (Relation of Ethics with other Sciences) जैन दर्शन में आत्मा को ज्ञान - स्वभावी कहा गया है । समस्त ज्ञान आत्मा केन्द्रित है । अतः ज्ञान-विज्ञान की कल्पना चेतनाशील आत्मा के बिना सम्भव ही नहीं है । विज्ञान चाहे आचार सम्बन्धी हो अथवा खोज सम्बन्धी, उनका परस्पर सम्बन्ध होता ही है । 'सापेक्षवाद' जैन दर्शन का सिद्धान्त तो है ही किन्तु आज का विज्ञान भी सापेक्षवाद (Theory of Relativity) को स्वीकार करता है । वैज्ञानिकों का कथन है कि इस संसार में निरपेक्ष वस्तु कोई नहीं है । इसी तरह विज्ञान की विभिन्न शाखाएँ अथवा विभिन्न प्रकार के विज्ञान परस्पर सापेक्ष हैं, इनका परस्पर एक दूसरे से सम्बन्ध है । नीतिशास्त्र का भी अनेक विज्ञानों से सम्बन्ध है । विषय को स्पष्ट करने के लिए कुछ विज्ञानों से इसका सम्बन्ध किस प्रकार का स्थापित हो सकता है, यह बताना यहाँ आवश्यक है। यह मान्यता सर्वत्र स्थापित है कि नीतिशास्त्र का सम्बन्ध मूल्यों (values) से है और अन्य सामाजिक तथा भौतिक विज्ञानों का सम्बन्ध तथ्यों से (facts) से है । परन्तु मूल्यों का अध्ययन तथ्यों के अभाव में नहीं किया जा सकता। अतः नीतिशास्त्र को भी अन्य विद्वानों की सहायता अपेक्षित है। नीतिशास्त्र का कार्य इस बात की खोज करना है कि मनुष्य के रूप में उसकी विशेषता दिखाने वाले कार्य कौन से हैं। यानी नीतिशास्त्र में उचित अनुचित के मानदण्ड का विवेचन किया जाता है । जेम्स सेथ ने कहा है- नीतिशास्त्र, नैतिक चिन्तन के रूप में, मानव आदर्शों की व्यवस्थित परीक्षा करता है और उनका (मानव आदर्शों का ) मानवता के सच्चे और परम आदर्श के साथ सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास करता है। अब कौन-सा आदर्श उचित है और कौन-सा अनुचित ? यह प्रश्न सामने आ जाता है। इस प्रश्न के समाधान के लिए नीतिशास्त्र को विभिन्न आदर्शों उद्गम और आधारों का विवेचन / अध्ययन करना अनिवार्य है । के 1. Ethics, as moral reflection, institutes a systematic examination of human ideals and seeks to correlate them with the true or absolute ideal of humanity. ---James Seth: A Study of Ethical Principles, p. 12
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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