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Lીમધામ માં પ્રવેશદ્વાર
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इसलिए यह सिद्ध होता है कि मेहसाणा पहले बस चुका था । अतः संभवतः 15 वीं सदी के पूर्व यहाँ मन्दिर होंगे ही । वर्तमान में सबसे बड़ा व प्राचीन मन्दिर बाजार में है, जहाँ के मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथ भगवान है । उस मन्दिर में एक श्रावक मूर्ति पर वि. सं. 1257 आषाढ़ शुक्ला १ का लेख है। यहाँ श्री सुमतिनाथ भगवान के मन्दिर में एक आचार्यश्री की मूर्ति है, जिसपर भी वि. सं. 1257 आषाढ़ शुक्ला 9 का लेख है । संभवतः यह मूर्ति आचार्य श्री हेमचन्द्राचार्य की है । __ श्री सीमंधर स्वामी जिन मन्दिर का निर्माण परमपूज्य आचार्य श्री कैलाशसागरसूरीश्वरजी के सदुपदेश से वर्तमान शताब्दी में होकर विक्रम सं. 2028 वैशाख सुद 6 के दिन प्रतिष्ठा सुसंपन्न हुई थी ।
विशिष्टता 8 जैन शास्त्रानुसार श्री सीमंधर स्वामी केवलज्ञान के बाद अभी महाविदेह क्षेत्र में विचरते है । श्री सीमंधर स्वामी भगवान का इस ढंग
का सुन्दर, विशाल परकोटे के मध्य, कलापूर्ण गगनचुंबी शिखर के साथ इतना भव्य मन्दिर भारत में यह प्रथम है । मन्दिर की निर्माण शैली दर्शनीय व प्रशंसनीय है।
प्रभु की विशालकाय प्रतिमा अति ही सुन्दर व प्रभावशाली है । ऐसा लगता है जैसे श्री सीमंधरस्वामी साक्षात् विराजमान हैं । यह मन्दिर अपने आप में विशेषता रखता है ।
अन्य मन्दिर सीमंधर स्वामी जिन मन्दिर के अतिरिक्त गाँव में 14 मन्दिर हैं । गाँव में अनेकों जैन संस्थाएँ कार्य करती हैं, जिनमें श्री यशोविजय संस्कृत पाठशाला का कार्य प्रशंसनीय है । यहाँ से निकले हुए कई विद्यार्थियों ने दीक्षा भी ग्रहण की है । कई धार्मिक शिक्षक भी बने हैं ।
कला और सौन्दर्य श्री सीमंधर स्वामी जिन मन्दिर की निर्माण शैली दर्शनीय है । इतने विशाल व सर्व सुविधा के साथ अच्छे प्लानिंग से बने मन्दिर बहुत ही कम जगह पाये जाते है ।
प्रभु प्रतिमा की कला अति ही आकर्षक है ।
मार्ग दर्शन 8 मेहसाणा जंक्शन रेल्वे स्टेशन इस मन्दिर से 1 1/2 कि. मी. दूर है । गाँव के बस स्टेण्ड से यह मन्दिर 2 कि. मी. है । मन्दिर अहमदाबाद-दिल्ली मुख्य राजपथ (नेशनल हाई वे) पर है । इस स्थान
श्री सीमंधर स्वामी जिनालय-मेहसाणा
श्री मेहसाणा तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री सीमंधर स्वामी, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, 3.68 मीटर । (14574इंच) (श्वे. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल 8 मेहसाणा गाँव के बाहर मुख्य मार्ग पर ।
प्राचीनता उपलब्ध शिलालेखों से प्रतीत होता है कि यह शहर वि. की 15 वीं सदी के पूर्व बसा होगा। जामनगर में श्री शान्तिनाथ भगवान के मन्दिर में एक धातु प्रतिमा पर मेहसाणा निवासी श्रेष्ठी श्री वीरपाल द्वारा उसे प्रतिष्ठित किये का उल्लेख है ।
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