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श्री मोटा पोसीना तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, लगभग 105 सें. मी. (श्वे. मन्दिर)। तीर्थ स्थल पहाड़ी के बीच स्थित ।।
प्राचीनता कहा जाता है विक्रम की तेरहवीं सदी में यह प्रतिमा यहाँ पेड़ के नीचे भूगर्भ से प्रकट हुई थी । श्री कुमारपाल राजा ने मन्दिर का निर्माण करवाकर इस प्रभु प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाया था-ऐसी किंवदन्ति है ।
यहाँ उपलब्ध शिलालेखों में उत्कीर्ण उल्लेखानुसार वि. सं. 1481 में इस तीर्थ का जीर्णोद्धार हुआ था । इससे यह तो सिद्ध हो ही जाता है कि यह तीर्थ पंद्रहवीं सदी पूर्व का है । तत्पश्चात् विक्रम की सत्रहवीं सदी में आचार्य श्री विजयदेवसूरीश्वरजी के समय पुनः जीर्णोद्धार होने का उल्लेख है ।
विशिष्टता 8 यह एक प्राचीन तीर्थ स्थान है जिससे इसकी मुख्य विशेषता है । प्रति वर्ष गुजराती मिती वैषाख कृष्णा 11 को ध्वजा चढ़ती है, तब अनेकों यात्रीगण इकट्ठे होकर प्रभु-भक्ति का लाभ लेते हैं। यहाँ
श्री महावीर भगवान के मन्दिर में श्री क्षेत्रपालजी वीरदादाजी अति ही चमत्कारी है । जैनेतर लोग भी प्रायः आते रहते हैं । यहाँ कई वर्षों से अखण्ड ज्योत में केशरिया काजल पड़ता है ।
अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त निकट ही तीन और मन्दिर हैं । ___ कला और सौन्दर्य सारे मन्दिरों की प्रतिमाएँ प्राचीन व कलात्मक हैं । सारे मन्दिर भी प्राचीन रहने के कारण कलात्मक प्रतिमाओं व अवशेषों के दर्शन होते है ।
मार्ग दर्शन नजदीक का रेलवे स्टेशन खेडब्रह्मा 45 कि. मी. व आबू रोड़ 52 कि. मी. है । जहाँ से बस व टेक्सी की सुविधा उपलब्ध है । यहाँ से कुंभारियाजी तीर्थ 29 कि. मी. दूर है । मन्दिर तक बस व कार जा सकती है ।
सुविधाएँ ठहरने के लिए सर्वसुविधायुक्त नवीन धर्मशाला व ब्लॉक बने हुए हैं, जहाँ पर भोजनशाला की भी सुविधा हैं ।
पेढ़ी श्री मोटा पोसीनाजी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक देरासर ट्रस्ट, पोस्ट : मोटा पोसीना- 383 422. जिला : साबरकांठा (गुज.) फोन : 02775-83471.
श्री पार्श्वनाथ भगवान मन्दिर-मोटा पोसीना
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