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श्री वड़ाली तीर्थ
જળનવક
Moodi
श्री शान्तिनाथ भगवान-वड़ाली
तीर्थाधिराज * श्री अमीझरा पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, श्याम वर्ण, लगभग 90 सें. मी. (श्वे. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल * वड़ाली गाँव में ।। प्राचीनता इसका प्राचीन नाम वाटापल्ली रहने का उल्लेख है। श्री पार्श्वनाथ भगवान का यह मन्दिर लगभग बारहवीं सदी पूर्व का माना जाता है । श्री वटपल्ली गच्छ का उत्पत्ति स्थान यही माना जाता है। मारवाड़ के नानरोणा गाँव में एक प्रतिमा पर वि. सं. 1189 का लेख उत्कीर्ण है, जिसमें वटपल्ली गच्छ का उल्लेख है । यहाँ श्री शान्तिनाथ भगवान के बावन जिनालय भव्य मन्दिर में भमती के एक देहरी के पबासन पर वि. सं. 1275 वैशाख शुक्ला 4 को मन्दिर का जीर्णोद्धार होकर आचार्य श्री सोमसुन्दरसूरीश्वरजी के सुहस्ते प्रतिष्ठा होने का उल्लेख है । 'प्रशस्तिसंग्रह' में भी इस तीर्थ का वर्णन हैं इन सब से इस तीर्थ की प्राचीनता स्वतः सिद्ध हो जाती है ।
विशिष्टता किसी वक्त प्रभु प्रतिमा से असीम मात्रा में निरन्तर अमी झरते रहने के कारण भक्तजन प्रभु को अमीझरा पार्श्वनाथ भगवान कहने लगे प्रतिमा अति ही चमत्कारिक है । श्री वटपल्ली गच्छ के आचार्यों ने जगह-जगह पर अनेकों धर्म प्रभावना के कार्य किये हैं । वे उल्लेखनीय हैं ।
अन्य मन्दिर 8 वर्तमान में इसके अतिरिक्त श्री शान्तिनाथ भगवान का व श्री आदिनाथ भगवान का मन्दिर हैं । ये दोनों मन्दिर भी वि. की बारहवीं सदी पूर्व के माने जाते हैं । एक और मन्दिर खण्डहर रुप में विद्यमान हैं, जिसे भी श्री शान्तिनाथ भगवान का मन्दिर बताते है । __ कला और सौन्दर्य के सब मन्दिरों में प्राचीन जिन प्रतिमाओं के दर्शन होते है । सब प्रतिमाओं की कलाकृति अति ही सौम्य व दर्शनीय है ।
मार्ग दर्शन यहाँ का वड़ाली स्टेशन मन्दिर से लगभग एक कि. मी. है । यह स्थान अहमदाबाद-खेडब्रह्मा मार्ग में खड़ब्रह्मा से पहला स्टेशन है । यह स्थान ईडर
श्री अमीझरा पार्श्वनाथ मन्दिर-बड़ाली
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