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________________ मन्दिर लगभग 500 वर्ष पूर्व का होगा-ऐसा अनुमान लगाया जाता है । विशिष्टता यह तीर्थ क्षेत्र अति ही प्राचीन होने के कारण यहाँ की विशेष महत्ता है । यहाँ हाटकेश्वर महादेवजी का मन्दिर भी है । इस स्थान को हिन्दू लोग भी अपना तीर्थ स्थान मानते है । गाँव से एक कि. मी. दूर श्री अम्बाजी का भी प्राचीन मन्दिर है। कहा जाता है अम्बाजी के मन्दिर जीर्णोद्धार के समय खोद कार्य करते वक्त भूगर्भ से अनेकों जिन प्रतिमाएँ प्राप्त हुई थीं, जिनमें यह अम्बाजी की प्रतिमा भी थी, जिसे प्राचीन समझकर प्रतिष्ठित किया गया । इससे अनुमान लगाया जाता है कि किसी समय यहाँ श्री नेमिनाथ भगवान का विशाल मन्दिर रहा होगा व श्री नेमिनाथ भगवान की अधिष्ठायिका श्री अम्बाजी की यह प्रतिमा भी उसी मन्दिर में रही होगी ।। अन्य मन्दिर * इसके अतिरिक्त श्री आदीश्वर भगवान का एक प्राचीन मन्दिर हैं । ___ कला और सौन्दर्य के श्री महावीर भगवान व श्री आदीश्वर भगवान की प्रतिमाएँ दर्शनीय हैं । श्री हाटकेश्वर महादेवजी के मन्दिर व श्री अम्बाजी के मन्दिर के पास अनेकों प्राचीन मन्दिरों के कलात्मक ध्वंसावशेष नजर आते हैं, जो यहाँ की प्राचीनता को प्रमाणित करते हैं । मार्ग दर्शन * यहाँ से खेड़ब्रह्मा रेल्वे स्टेशन आधा कि. मी. दूर है । बस स्टेण्ड भी आधा कि. मी. दूर है । इन जगहों से आटोरिक्शों की सुविधा है । मन्दिर तक कार व बस जा सकती है । यह स्थान कुंभारियाजी से 40 कि. मी., ईडर से 20 कि. मी. व अहमदावाद से 125 कि. मी. अहमदाबाद-अम्बाजी सड़क मार्ग में हैं। सुविधाएँ , ठहरने के लिए पुरानी धर्मशाला हैं । जहाँ पानी व बिजली की सुविधा हैं । पेढ़ी के श्री दशापोरवाल जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक पंचमहाजन, पोस्ट : खेड़ब्रह्मा - 383 255. जिला : साबरकांटा, प्रान्त : गुजरात, फोन : 02775-20068 व 20108 पी.पी. श्री महावीर भगवान मन्दिर-खेडब्रह्मा श्री खेडब्रह्मा तीर्थ तीर्थाधिराज ॐ श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्थ, बादामी वर्ण, लगभग 90 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) । तीर्थ स्थल * खेड़ब्रह्मा गाँव में । प्राचीनता शास्त्रों में उल्लेखानुसार यह तीर्थ अति ही प्राचीन है । सतयुग में इस नगरी का नाम ब्रह्मपुर, त्रेतायुग में अग्निखेट, द्वापरयुग में हिरण्यपुर व कलियुग में तुलखेट था ऐसा पद्मपुराण में उल्लेख है। कोई समय यहाँ अनेकों दिगम्बर मन्दिर भी रहने का 'पुरातन ब्रह्मक्षेत्र' ग्रन्थ में उल्लेख है । यहाँ की एक प्राचीन अदिति वाव में वि. सं. 1256 का शिलालेख उत्कीर्ण है । इस पुरातन क्षेत्र का अनेकों बार उत्थान पतन हुआ होगा ऐसा प्रतीत होता है । वर्तमान 520
SR No.002332
Book TitleTirth Darshan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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