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के परिकर की गादी पर वि. सं. 1126 वैशाख कृष्णा 11 का लेख उत्कीर्ण है । यह परिकर राँतेज से लाया बताया जाता है । अभी-अभी पुनः जीर्णोद्धार हुवा है।
विशिष्टता 'जामणकीयगच्छ' का उत्पत्ति स्थान यही है । गाँव के आसपास अनेकों जीर्ण इमारतें व पत्थरों के ढेर पड़े हैं । इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किसी समय यह एक विराट नगरी रही होगी । ___ अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं हैं ।
कला और सौन्दर्य प्रभु प्रतिमा की कला अति मनोरम है ।
मार्ग दर्शन 8 नजदीक का रेल्वे स्टेशन व गाँव हारीज लगभग 8 कि. मी. शंखेश्वर 22 कि. मी. व पाटण 27 कि. मी. दूर है । जहाँ पर बस, टेक्सी व आटो की सुविधा है ।
सुविधाएँ फिलहाल यहाँ ठहरने हेतु कोई सुविधा नहीं हैं । यात्रियों हेतु चाय व नास्ते की सविधा है । पूजा हेतु नहाने की सुविधा है ।
पेढ़ी 8 श्री चन्द्रप्रभु जैन देरासर पेढ़ी, पोस्ट : जमणपुर - 384 240. तहसील : हारिज, जिला : पाटण, प्रान्त : गुजरात, फोन : 02733-86232 पी.पी.
श्री चन्द्रप्रभ भगवान मन्दिर-जमणपुर
श्री जमणपुर तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री चन्द्रप्रभ भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण (श्वे. मन्दिर) ।
तीर्थ स्थल जमणपुर गाँव में । प्राचीनता एक धातु प्रतिमा पर सं. 1285 के लेख में श्री जामणकीयगच्छ का उल्लेख आता है । एक कथनानुसार मंत्रीश्वर श्री वस्तुपाल के पुत्र मंत्री श्री जैत्रसिंह ने अपनी पत्नी जमणदेवी के नाम पर यह नगरी बसायी थी । वस्तुपाल का जन्म वि. सं. 1240-42 का माना जाता है । इससे यह सिद्ध होता है कि यह तीर्थ क्षेत्र तेरहवीं सदी पूर्व का है ।
अंतिम जीर्णोद्धार होकर पुनः प्रतिष्ठा वि. सं. 1964 वैशाख शुक्ला 10 को हुई थी । मूलनायक भगवान 508