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________________ श्री पारोली तीर्थ तीर्थाधिराज श्री नेमिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ (श्वे. मन्दिर)। तीर्थ स्थल पारोली गाँव के मध्य । प्राचीनता प्रभु प्रतिमा का इतिहास अति प्राचीन माना जाता है । कहा जाता है कि मुगल बादशाह मोहम्मद बेगड़ा के समय (वि. सं. 1540 में) यह प्रतिमा धनेश्वर गाँव में थी । भक्तजनों ने आक्रमण के भय से प्रतिमाजी को नदी में सरक्षित किया था । वर्षों बाद छाणी गाँव के निवासी श्री नाथा भाई के कुटुम्वीजनों को स्वप्न में जिन प्रतिमा नदी में रहने का दैविक संकेत मिला । तदनुसार शोध करने पर प्रभु प्रतिमा प्रकट हुई । वेजलपुर व अन्य गाँवों के निवासियों ने प्रतिमाजी को अपने अपने गाँव ले जाने का आग्रह किया, तय हुआ कि प्रतिमाजी बैलगाड़ी में विराजित की जाय व बैल गाड़ी जहाँ पर जाकर ठहरे वहीं मन्दिर बनवाया जाय । बैल गाड़ी पर प्रतिमाजी विराजमान की गई व जन समूह के साथ रवाना हुई। गाड़ी पारोली गाँव में इसी जगह आकर रुकी, जहाँ श्री संघ द्वारा भव्य मन्दिर का निर्माण करवाकर प्रतिमाजी विधिपूर्वक प्रतिष्ठित करवाई गई। विशिष्टता यह अति चमत्कारिक स्थल है । अनेकों जैनेतर भी दर्शनार्थ प्रायः आते रहते हैं । प्रभु को ‘साचादेव श्री नेमिनाथ' कहते है । अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नही है । कला और सौन्दर्य प्रकट प्रभावी श्री नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा की कला अति शोभनीय हैं । मार्ग दर्शन यह तीर्थ स्थल वेजलपुर (गोधरा) से सिर्फ 16 कि. मी. दूर है, जहाँ से बस व टेक्सी ys स्वागतयROppoOORAPE मन्दिर का भव्य दृश्य-पारोली 664
SR No.002332
Book TitleTirth Darshan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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