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श्री कदम्बगिरि तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ, श्याम वर्ण, लगभग 2 मीटर (श्वे. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल पालीताना से लगभग 19 कि. मी. बोदानोनेस (प्राचीन नाम कदम्बपुर) गाँव के पास कदम्बगिरि पर्वत पर एकान्त जंगल में ।
प्राचीनता इसकी प्राचीनता का संबंध श्री शत्रुजय गिरिराज से है । शत्रुजय गिरि का यह शिखर गिना जाता है व गिरिराज की तीन प्रदक्षिणाओं में एक 12 कोस की प्रदक्षिणा में यह स्थल भी शामिल है । गत चौबीसी के द्वितीय तीर्थंकर श्री निर्वाणी प्रभु के गणधर श्री कदम्बमुनि अनेकों मुनियों के साथ यहीं से मोक्ष सिधारे । इसी से इस पर्वत का नाम कदम्बगिरि पड़ा । अतः इस तीर्थ स्थल की प्राचीनता सहज में ही ज्ञात हो जाती है ।
विशिष्टता यह स्थल पुण्य पावन तीर्थ शत्रुजय की पंचतीर्थी में स्थान पाता है । गिरिराज की 12 कोस (38 कि. मी.) की प्रदक्षिणा में यह स्थल शामिल है । यहाँ गत चौबीसी के द्वितीय तीर्थंकर के गणधर श्री कदम्बमुनि व अनेकों मुनिगण मोक्ष सिधारे। इसलिए इस तीर्थ का अत्यन्त महत्व है । प्रतिवर्ष आसोज शुक्ला 10 को ध्वजा चढ़ाई जाती है।
अन्य मन्दिर 8 कदम्बगिरि पर्वत पर इसके निकट ही दो और मन्दिर हैं जहाँ के मूलनायक श्री नेमिनाथ भगवान व श्री सीमधर स्वामी है । पहाड़ की चोटी पर 2 देरियाँ हैं, जिनमें निर्वाणी प्रभु व कदम्ब गणधर की चरण पादुकाएँ स्थापित हैं । पहाड़ पर ही एक तरफ और एक मन्दिर है, जिसके सामने ही नूतन प्रतिमाओं का भण्डार है, जहाँ छोटी बड़ी विभिन्न कलापूर्ण हजारों प्रतिमाएँ निर्मित कर एक ही जगह संग्रहीत की हुई हैं । पहाड़ की तलेटी बोदानोनेस गाँव में श्री वीर प्रभु का सुन्दर व विशाल मन्दिर है।
कला और सौन्दर्य पहाड़ पर श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा भव्य व अति ही सुन्दर है । भंडार में स्थित विभिन्न ढंग की हजारों प्रतिमाओं की कला दर्शनीय है । पहाड़ पर का प्राकृतिक दृश्य हरा-भरा अति ही मनोरम व मनलुभावना प्रतीत होता है ।
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