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________________ श्री तालध्वजगिरि तीर्थ Hin मनोहर दृश्य-तालध्वजगिरि तीर्थाधिराज श्री साचा सुमतिनाथ भगवान, श्याम वर्ण, पद्मासनस्थ 79 सें. मी. (श्वे. मन्दिर)। तीर्थ स्थल शेव॒जय व सरिता नदी के संगम स्थान पर तलाजा गाँव के पास एक सुन्दरपहाड़ी पर। प्राचीनता 8 प्राचीन काल में यह शास्वत श्री शत्रुजय महा तीर्थ की दूंक मानी जाती थी । आज भी शत्रुजय पंच तीर्थी का यह एक तीर्थ स्थल माना जाता है । यहाँ की प्राचीनता पहाड़ पर स्थित अनेकों प्राचीन छोटी मोटी नाना प्रकार की गुफाओं से सिद्ध होती है। कहा जाता है जब श्री आदिनाथ भगवान के ज्येष्ठ पुत्र श्री भरत चक्रवर्ती यहाँ यात्रार्थ पधारे तब उन्होंने भी यहाँ एक सुन्दर मन्दिर बनवाया था । ई. सं. 640 में चीनी प्रवासी हुएनसांग ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में इस तीर्थस्थान का वर्णन किया है । ___ वर्तमान मन्दिर कुमारपाल राजा द्वारा बारहवीं शताब्दी में निर्मित होने का उल्लेख है । टीमाणा गाँव में प्राप्त वि. सं. 1264 के शिलालेख में “तलाजा महास्थान" का वर्णन है । उपाध्याय श्री विनयप्रभविजयजी ने "तीर्थ माला स्तवन" में इस तीर्थ का वर्णन किया है। साचा सुमतिनाथ भगवान की प्रतिमा राजा संप्रति काल की मानी जाती है । अन्तिम जीर्णोद्धार होकर विक्रम सं. 1872 वैशाख शुक्ला 13 के दिन पुनः प्रतिष्ठा सुसम्पन्न हुई थी । विशिष्टता यह श्री शत्रुजय की पंचतीर्थी का पावन स्थल है, जो कि पूर्वकाल में शत्रुजय की एक ट्रॅक मानी जाती थी । पहाड़ पर प्राचीन छोटी बड़ी लगभग 32 गुफायें बिना स्थम्भों के खड़ी हैं । इस भाँति की गुफाओं का दृश्य अन्यत्र नहीं है । प्रभु प्रतिमा अति ही चमत्कारी है । यह प्रतिमा विक्रम सं. 1872 में इसी गाँव में भूगर्भ से प्रकट होते ही गाँव में फैली हुई बीमारी समाप्त होकर शान्ति का वातावरण फैला था, जो उल्लेखनीय है । उसी समय से प्रभ को साचा सुमतिनाथ कहने लगे । प्रभु प्रतिमा को इस तीर्थ के अन्तिम उद्धार के समय यहाँ प्रतिष्ठित कराया गया । उसी दिन से अखण्ड ज्योत भी शुरू की गयी थी, जो अभी तक यथावत है, जिसमें केसरिया काजल पड़ता है । अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त इसी पहाड़ पर श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर, श्री महावीर भगवान मन्दिर, चौमुखी मन्दिर व एक गुरुमन्दिर हैं गुरुमन्दिर में गौतमस्वामीजी,सुधर्मास्वामीजी, जंबुस्वामीजी, कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी, वृद्धिचन्द्रसूरिजी आदि की व कुमारपाल राजा की मूर्तियाँ स्थापित हैं । गाँव में दो विशाल मन्दिर है, जहाँ के मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान व श्री मल्लिनाथ भगवान है। कला और सौन्दर्य इस पहाड़ पर स्थित भव्य मन्दिरों का दृश्य अनेकों प्राकृतिक गुफाओं के साथ दूर से ही अनूठा-सा लगता है। गुफाओं की निर्मित कला देखने योग्य है जो कि अन्यत्र दुर्लभ है पहाड़ पर से एक ओर श्री शत्रुजय गिरिराज पर मन्दिर समूहों का अनूठा दृश्य व दूसरी ओर शत्रुजय व सरिता नदी का संगम स्थान देखकर यात्री प्रभु भक्ति में लीन हो जाते 599
SR No.002332
Book TitleTirth Darshan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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