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________________ अन्य मन्दिर * इसके निकट तालाब के किनारे श्री अमरसागर तीर्थ दो और मन्दिर हैं, जो शेठ श्री सवाईरामजी प्रतापचंदजी व ओसवाल पंचायत के बनाये हुए हैं । ये तीर्थाधिराज श्री आदिनाथ भगवान, श्वेत मन्दिर वि.सं. 1897 व वि. सं. 1903 में बने हैं । वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 75 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) । ओसवाल पंचायत द्वारा बनाये मन्दिर को डुंगरसी का तीर्थ स्थल जैसलमेर से 3 कि. मी दूर लौद्रवा मन्दिर कहते हैं । इस मन्दिर की प्रतिमा विशालकाय मार्ग पर अमरसागर गाँव में तालाब के बीच। व अति ही सुन्दर है, जो विक्रमपुर से लायी हुई प्राचीनता ® यह मन्दिर वि. सं. 1928 में पटवा लगभग 1500 वर्ष पूर्व की मानी जाती है । इनके शेठ श्री हिम्मतरामजी बाफणा द्वारा निर्मित करवाया अतिरिक्त दो दादावाड़ियाँ भी हैं दादावाड़ियों में युगप्रधान गया व आचार्य श्री जिनमहेन्द्रसूरिजी के सुहस्ते प्रतिष्ठा दादा श्री जिन कुशलसूरीश्वरजी के चरण स्थापित हैं । सम्पन्न हुई । ___ कला और सौन्दर्य ® तालाब के बीचों बीच लगभग 25 वर्षों पूर्व मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया। निर्मित इस भव्य कलात्मक दो मंजिल के मन्दिर का गया लेकिन प्रतिमाजी अभी भी वही विद्धमान है जो दृश्य अति ही सुन्दर है। यहाँ के मजबूत पीले पत्थर प्राचीन सम्प्रति राजा के समय की मानी जाती है। में बनाये गये विभिन्न कला के नमूने अद्वितीय व विशिष्टता ® जैसेलमेर की पंचतीर्थी का यह दर्शनीय हैं । मन्दिर के सामने सुरम्य उद्यान अपने ढंग तीर्थ स्थान माना जाता है । यहाँ के बाफणा बंधुओं का अनोखा है । यहाँ की शिल्प-कला भारतीय कला द्वारा निकाला हुआ शत्रुजय-यात्रा संघ प्रसिद्ध है । देश का एक विशिष्ट नमूना है । मन्दिर का सभा मन्डप के प्रसिद्ध पीले पत्थर की खानें यहीं पर है । यह बड़ा ही सुन्दर व कलापूर्ण है । यहाँ की खुदाई का पत्थर पानी पड़ने से दिन-प्रतिदिन मजबूत बनता जाता कार्य पत्थर पर बहुत गहराई से हुआ है । मन्दिर के है, यह इसकी विशेषता है । यहाँ का पत्थर जैसलमेर चारों ओर पत्थर की जालियों की कला निहारने योग्य के पत्थर के नाम से प्रख्यात है । है । यह यहाँ की विशेषता है । श्री आदीश्वर जिनालय-अमरसागर 296
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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