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महान विशेषता है । शोधकर्ताओं के लिए यह एक बड़ा श्री खींवसर तीर्थ
भारी आवश्यक शोध का विषय है ।
जिस भूमि में देवाधिदेव प्रभ ने अपना चातुर्मास पूर्ण तीर्थाधिराज श्री महावीर भगवान, प्राचीन किया हो, उस भूमि की महानता का शब्दों में वर्णन चरण, चन्दन वर्ण, लगभग 37 से. मी. (श्वे. मन्दिर)।
करना संभव नहीं । निरन्तर चार-माह प्रभु के तीर्थ स्थल खींवसर गाँव के बाहर तालाब के
मुखारबिंद से कितने पुण्यवान नर-नारियों, पशु-पक्षियों किनारे ।
आदि ने अमृतमयी वाणी सुनकर अपना जीवन सफल प्राचीनता इसका प्राचीन नाम अस्थिग्राम था। किया होगा । प्रभु के चरणों से जहाँ का कण-कण यह अति प्राचीन क्षेत्र माना जाता है । अस्थिगाँव के
स्पर्श हुआ हो उस स्थान की महानता का क्या वर्णन नाम का उल्लेख 'कल्प सूत्र' में भी आता है । किसी
किया जाय । ऐसे पवित्र व पावन तीर्थ स्थल की यात्रा समय यह एक विराट नगरी रही होगी । कहा जाता
करने से आत्मा को विशिष्ट शान्ति का अनुभव होता है। है भगवान महावीर मरुभूमि में विचरे तब यहाँ उनका
अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त यहाँ चातुर्मास हुआ था । चरण पादुका पर कोई लेख उत्कीर्ण नहीं है । ये चरण लगभग दो हजार वर्ष
__ कोई मन्दिर नहीं है । प्राचीन बताये जाते हैं ।
___ कला और सौन्दर्य * मन्दिर गाँव के बाहर विशिष्टता चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवान एकान्त में होने के कारण वातावरण शान्त व दृश्य अति का यहाँ चातुर्मास हुआ माना जाने के कारण यहाँ की सुन्दर लगता है ।
श्री महावीर प्रभु जिनालय-खींवसर
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