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________________ श्री देलवाड़ा (आबू) तीर्थ तीर्थाधिराज श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, 1.5 मीटर (श्वे. मन्दिर)। तीर्थ स्थल समुद्र की सतह से लगभग 1220 मी. ऊंचे अर्बुदगिरि पर्वत की गोद में । प्राचीनता कहा जाता है श्री भरत चक्रवर्ती जी ने यहाँ श्री आदिनाथ भगवान का मन्दिर बनवाकर चतुर्मुख प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाया था । जैन शास्त्रों में इसे अर्बुदगिरि कहते हैं । यहाँ जमाने से मुनिगण जैन मन्दिरों के दर्शनार्थ आते थे, ऐसा उल्लेख है । तदनन्तर यह भी कहा जाता है कि अन्तिम तीर्थंकर भगवान श्री महावीर ने भी अर्बुदभूमि पर पदार्पण किया था । भगवान श्री महावीर के बाद कई जैन आचार्य इस पवित्र धाम आबू पर यात्रार्थ पधारे हैं व तपस्या की है । जैसे ई. पूर्व 475 में श्री स्वयंप्रभसूरिजी, ई. पू. 236 में श्री सुहस्तिसूरिजी ई. प्रथम शताब्दी में श्री पादलिप्तसूरिजी, ई. सं. 203-225 में श्री देवगुप्तसूरिजी ई. सं. 937 में श्री उद्योतनसूरिजी ई. सं. 1606-74 श्री आदिनाथ प्रभु की प्राचीन प्रतिमा-देलवाड़ा (आबू) मन्दिर-समूह का दृश्य जिनमें अलौकिक कला का अमूल्य खजाना भरा है-देलवाड़ा (आबू) 462
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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