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श्री रावण पार्श्वनाथ तीर्थ
जहाँ पर जिनेश्वर भगवान के परम भक्त अतीव श्रद्धावान आगामी चौवीसी में तीर्थंकर पद प्राप्त करनेवाले
लंकापति श्री रावण व मंदोदरी द्वारा श्री पार्श्वप्रभु की तीर्थाधिराज * श्री रावण पार्श्वनाथ भगवान,
अलौकिक प्रतिमा यहाँ निर्मित हुई व मन्दिर में प्राचीन परिकरयुक्त श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 35
प्रतिष्ठित होकर श्री रावण पार्श्वनाथ के नाम तीर्थ सें. मी. प्रतिमा मात्र (श्वे. मन्दिर) ।
विख्यात हुवा । तीर्थ स्थल अलवर शहर के बीरबल मोहल्ले में।
अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त एक प्राचीनता * यहाँ की प्राचीनता बीसवें तीर्थंकर
मन्दिर व एक दादावाड़ी हैं ।। श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान के समय की मानी जाती है।
__ कला और सौन्दर्य * मन्दिर में विराजित
श्री रावण पार्श्वनाथ भगवान के सिवाय अन्य प्राचीन लंकापति श्री रावण व मंदोदरी द्वारा अपनी सेवा-पूजा
प्रतिमाएं भी कलात्मक, भावात्मक व दर्शनीय है । हेतु कई बार कई जगहों पर जिनेश्वर भगवान की प्रतिमा बनाकर पूजा करने का उल्लेख कई जगह आता
उक्त उल्लेखित निकट के प्राचीन मन्दिर के खण्डहर
अवशेषों की कला भी दर्शनीय है । यहाँ पर भी एक उल्लेखानुसार कहा जाता है कि
मार्ग दर्शन के यहाँ का अलवर रेल्वे स्टेशन व श्री रावण व मंदोदरी विमान द्वारा कहीं जा रहे थे ।
बस स्टेण्ड मन्दिर से लगभग 7 कि. मी. दूर है, रास्ते में अलवर के निकट विश्राम हेतु ठहरे । भोजन
मन्दिर तक बस व कार जा सकती है । शहर में सभी के पूर्व पूजा करना उनका नियम था । संयोगवश प्रभु
तरह की सवारी का साधन है। प्रतिमाजी साथ लाना भूल गये थे अतः मंदोदरी ने यहीं यहाँ से जयपुर 151 कि. मी. दिल्ली 165 कि. मी. पर बालु से प्रतिमा बनाकर भक्ति भाव से पूजा की थी मथुरा 110 कि. मी. व भरतपुर लगभग 110 कि. वही प्रतिमा श्री रावण पार्श्वनाथ नाम से विख्यात हुई। मी. दूर है । इन सभी स्थानों से बस, रेल्वे व टेक्सी जो यहाँ विद्यमान है । इसी कारण यह तीर्थ श्री रावण का साधन है । पार्श्वनाथ के नाम विख्यात हुवा ।
___ नजदीक के हवाई अड्डे दिल्ली, जयपुर व आगरा हैं। _ विक्रम सं. 1449 में यहाँ पर श्री रावण पार्श्वनाथ सुविधाएँ * ठहरने के लिए मन्दिर के निकट ही मन्दिर रहने का उल्लेख है । तत्पश्चात् भी अलग-अलग बीरबल मोहल्ले में जैन धर्मशाला है जहाँ बिजली, तीर्थ मालाओं में यहाँ के श्री रावण पार्श्वनाथ मन्दिर पानी, बर्तन व ओढ़ने-विछाने के वस्त्रों की सुविधा है। का उल्लेख आता है । इनसे यहाँ की प्राचीनता सिद्ध भोजनशाला प्रारंभ होने वाली है । होती है ।
पेढ़ी श्री रावण पार्श्वनाथ जैन श्वे. मन्दिर, वि. सं. 1645 में मन्दिर का पुनः निर्माण करवाकर श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक मन्दिर ट्रस्ट, श्री रावण पार्श्वनाथ भगवान की प्राचीन प्रतिमा प्रतिष्ठित बीरबल का मोहल्ला । करवाने का उल्लेख है । जो अभी विद्यमान है । पोस्ट : अलवर - 301 001. (राजस्थान),
यहाँ से लगभग 4 कि. मी. दूर एक जैन मन्दिर फोन : पी.पी. 0144-700760, खण्डहर अवस्था में अभी भी विद्यमान है उसे रावण
341228, 334362. देहरा (श्री रावण पार्श्वनाथ जैन मन्दिर) कहते हैं । संभवतः किसी राजकीय, धार्मिक या सामाजिक कारण
MES से स्थान का परिवर्तन करना आवश्यक हो गया हो ।
ALWARSoundgarh Di कुछ भी हो उक्त वर्णणों से इस तीर्थ की प्राचीनता सिद्ध होती है ।
Portatgan Tony Rajgarh, Michel Jon Samu Gore Nad विशिष्टता यह तीर्थ स्थल प्राचीन होने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल भी है,
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