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उन्हे कुछ भी दिखायी न दिया जिससे जिधर भी जाते दीवारों से टकराकर खून से लथपथ हो गये व अन्दर ही पड़े रहे । सुबह मय सामान पकड़े गये ।
एक बार आचार्य श्री मेरुतुंगसूरिजी ने जीरावला तीर्थ की ओर जाते एक संघ के साथ 3 श्लोक लिखकर भेजे । संघपति ने उन श्लोकों को भगवान के सामने रखा । अदृश्य रूप से अधिष्ठायक देव ने सात गुटिकाएँ प्रदान की व निर्देश दिया कि आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग करना । ऐसी अनेकों घटनाएँ घटी है व अभी भी घटती रहती हैं ।
यहाँ पर जैनेतर भी खूब आते हैं व प्रभु को दादाजी कहकर पुकारते हैं । प्रतिवर्ष गेहूँ की फसल पाते ही सहकुटुम्ब यहाँ आते हैं व यहीं भोजन तैयार करके हर्षोल्लास के साथ प्रभु के चरणों में चढ़ाकर पश्चात् खुदग्रहण करके अपने को कृतार्थ समझते हैं । इनके कथनानुसार यहाँ आने पर उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । चैत्री पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा व भादरवा शुक्ला 6 को मेले लगते हैं ।
अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ पर इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं है ।
कला और सौन्दर्य श्री पार्श्व प्रभु की प्रतिमा अति ही प्राचीन रहने के कारण कलात्मक व भावात्मक है सहज ही भक्तजनों के हृदय को अपनी तरफ खींच लेती है । जंगल में शान्त वातावरण के साथ जयराज पर्वत की ओट में यह बावन जिनालय मन्दिर का दृश्य अति ही आकर्षक लगता है ।
मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन आबू रोड़ 42 कि. मी. जालोर 90 कि. मी. सिरोही 70 कि. मी. डीसा 87 कि. मी. दूर है । इन सभी जगहों से बस व टेक्सी की सुविधा है। नजदीक का गाँव मन्डार 24 कि. मी. रेवदर 8 कि. मी. व वरमाण 14 कि. मी. दूर है । इन जगहों से भी बस व टेक्सी की सुविधा उपलब्ध है । बस व टेक्सी मन्दिर तक जा सकती है । नजदीक रेवदर गाँव से जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नाकोड़ा, मुम्बई (कल्याण), दिल्ली व अहमदाबाद के लिए बस सेवा उपलब्ध है । __ सुविधाएँ 488 ठहरने के लिए मन्दिर के निकट ही सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशालाएँ, ब्लॉक व हॉल है, जहाँ पर भोजनाशाला, नास्ता व भाते की भी व्यवस्था
श्री पार्श्वनाथ भगवान-जीरावला
है । संघ वालों के लिए अलग से आधुनिक सुविधायुक्त रसोड़े के साथ भोजन गृह की सुविधा हैं ।
पेढी श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन तीर्थ, पोस्ट : जीरावला - 307 514. तालुका : रेवदर, जिला : सिरोही, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 02975-24438.