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श्री कासीन्द्रा तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री शान्तिनाथ भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 75 सें. मी. (श्वे. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल कासीन्द्रा गाँव में । प्राचीनता इसका प्राचीन नाम काशाहृद रहने का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है । वि. सं. 1091 में पोरवाल श्री वामन श्रेष्ठी द्वारा इस मन्दिर में एक देहरी निर्मित करवाने का लेख देहरी के दरवाजे पर उत्कीर्ण है । इसलिए यह सिद्ध होता है कि यह मन्दिर उसके पूर्व का है । मूलनायक भगवान की गादी पर वि. सं. 1234 का लेख उत्कीर्ण है । संभवतः वि. सं. 1234 में जीर्णोद्धार के समय यह प्रतिमा प्रतिष्ठित की गयी होगी ।
विशिष्टता काशहदगच्छ का उत्पत्ति स्थान यही है । यहाँ के धर्मवीर व शूरवीर श्रावकों द्वारा, वि. सं. 1253 में शहाबुद्दीन गोरी व धारावर्षदव राजा के बीच हुए युद्ध के समय तीर्थस्थल की रक्षा के लिए दिया
गया योगदान उल्लेखनीय है जिससे शहाबुद्दीन को यहाँ से घायल होकर वापिस लौटना पड़ा था । यहाँ के श्रावकों ने काशहृदगच्छ के आचार्य भगवन्तों से प्रेरणा पाकर अनेकों धार्मिक कार्य करके धर्म की प्रभावना बढ़ायी है । प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला 10 को ध्वजा चढ़ती है ।
अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं है ।
कला और सौन्दर्य 8 इस प्राचीन बावन जिनालय मन्दिर का दृश्य अति सुरम्य है । श्री शान्तिनाथ भगवान की प्राचीन कलात्मक, परिकरयुक्त प्रतिमा अति ही मनोहर व भावात्मक है । लेकिन अन्य देरियों में प्रतिमाजी नहीं है ।
मार्ग दर्शन 8 नजदीक का रेल्वे स्टेशन आबू रोड़ 12 कि. मी. है, जहाँ से बस व टेक्सी की सुविधा है। यहाँ से भारजा 2/2 कि. मी. है जो कि सिरोही रोड-आब मार्ग पर स्थित है।
सुविधाएँ वर्तमान में ठहरने के लिए कोई
श्री शान्तिनाथ मन्दिर-कासीन्द्रा
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