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________________ कला और सौन्दर्य प्रभु प्रतिमा की प्राचीन श्री किंवरली तीर्थ कला अति सुन्दर है । मार्ग दर्शन 8 नजदीक का रेल्वे स्टेशन आबू रोड़ तीर्थाधिराज 8 श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्वेत ___ 10 कि. मी. है, जहाँ से टेक्सी का साधन है । यहाँ वर्ण, पद्मासनस्थ (श्वे. मन्दिर) । से आमथला 12 कि. मी. है । कार मन्दिर तक जा तीर्थ स्थल किंवरली गाँव के ब्रह्मपुरी मोहल्ले सकती है । रास्ता तंग रहने के कारण बस मन्दिर से में । 400 मीटर दूर ठहरानी पड़ती है । प्राचीनता मूलनायक भगवान की गादी पर सुविधाएँ एक उपाश्रय है, जहाँ फिलहाल वि. सं. 1132 का लेख उत्कीर्ण है । एक स्थंभ पर ठहरने की सुविधा नहीं है । आबू रोड़ ठहरकर ही यहाँ भी वि. सं. 1132 फाल्गुन शुक्ला 10 का लेख आना सुविधाजनक है । उत्कीर्ण है । इससे संभवतः यह तीर्थ क्षेत्र उससे पूर्व पेढी श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ पेढ़ी, का हो सकता है । वि. सं. 1764 व वि. सं. 1903 श्री पार्श्वनाथ भगवान जैन मन्दिर, में जीर्णोद्धार होने का संकेत शिलालेखों में मिलता है। पोस्ट : किंवरली - 343041., व्हाया : आबू रोड़, विशिष्टता प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष शुक्ला 11 को जिला : सिराही, प्रान्त : राजस्थान ध्वजा चढ़ायी जाती है । अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त अन्य कोई मन्दिर नहीं है । मी मनमोहनचिन्तामणी पारनाथ ताम्बर जैन मन्दिर किलर + + + + + + + + +++++++ श्री पार्श्वनाथ मन्दिर-किंवरली 438
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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