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________________ श्रंगार चौकी के साथ बिना पबासन व बिना किसी श्री दंताणी तीर्थ प्रतिमाओं के जीर्ण हालत में खण्डहरसा कई वर्षों से था। संभवतः किसी भय या अन्य कारणवश प्रतिमाएं तीर्थाधिराज श्री सीमंधर स्वामी भगवान, स्थानान्तर कर दी गई होगी । उक्त मन्दिर कब व पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, लगभग 67 सें. मी. किसने बनाया था उसका पता नहीं । हो सकता है (श्वे. मन्दिर) । ऊपर उल्लेखित प्रभु श्री पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर तीर्थ स्थल दताणी गाँव में । ही हो । प्राचीनता आज का दताणी गाँव पूर्वकाल में उक्त उल्लेखित भव्य मन्दिर का पुनः जीर्णोद्धार दंताणी के नाम विख्यात था । करवाकर वि. सं. 2042 में प. पू. अंचलगच्छाधिपति यहाँ की प्राचीनता ग्यारहवीं सदी के पूर्व की मानी आचार्य भगवंत श्री गुणसागरसूरीश्वरजी की पावन जाती है । निश्रा में प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई । विशिष्टता ___ अंचलगच्छ के संस्थापक आर्य रक्षितसूरीश्वरजी म. यहाँ की प्राचीनता के साथ प. सा. का जन्म इसी पावन भूमी में वि. सं. 1136 में पूज्य आचार्य भगवंत अंचलगच्छ के संस्थापक श्री आर्य होने का उल्लेख है । रक्षितसुरीश्वरजी म. सा. की यह जन्म भूमी रहने के कारण भी यहाँ की विशेषता है। ___ आचार्य श्री जयसिंहसूरिजी ने वि. सं. 1141 में यहाँ पदार्पण कर इस भूमी को पावन बनाया था अतः चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवान का इस क्षेत्र में उस समय यहाँ कई श्रावकों के घर अवश्य रहे होंगे भी पदार्पण होने का उल्लेख है जो यहाँ की मुख्य अन्यथा आचार्य भगवंत के यहाँ पदार्पण का सवाल ही विशेषता है । नहीं उठता । इधर-उधर विखरे प्राचीन भग्यनावशेषों से पता वि. सं. 1298 के एक शिलालेख में यहाँ श्री लगता है कि किसी समय यह एक जाहोजलालीपूर्ण पार्श्वनाथ भगवान का भव्य मन्दिर रहने का उल्लेख है। भव्य नगर रहा होगा । अतः वह मन्दिर उससे प्राचीन तो था ही परन्तु उसका अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई निर्माण कब व किसने कराया था जिसका पता नहीं है। अन्य मन्दिर नहीं है । यहाँ पर श्वेत पाषाण से निर्मित विशाल व भव्य कला और सौन्दर्य मन्दिर में सभी प्रतिमाएँ मन्दिर मूल गंभारे, गूढ मण्डप, छचौकी, सभा मण्डप. अतीव सुन्दर व कालात्मक है । श्री सीमंधर स्वामी मन्दिर-दंताणी 426
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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