SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 182
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी भगवान - वर्तमान मूलनायक शिलालेख था । जीर्णोद्धार के समय शायद शिलालेख कहीं रह गया होगा । अतः यह तीर्थ बारहवीं शताब्दी पूर्व का माना जाता है । वर्तमान मूलनायक भगवान की प्रतिमा पर कोई लेख उत्कीर्ण नहीं है । अनुमानित पहिले यहाँ के मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान होंगे। जीर्णोद्धार के समय किसी वक्त श्री संभवनाथ प्रभु की यह प्रतिमा प्रतिष्ठित की गयी हागी । अभी भी पुनः जीर्णोद्धार हुवा है । अभी मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान है । श्री संभवनाथ भगवान मन्दिर-कोजरा विशिष्टता उल्लेखित शिलालेखों से प्रतीत होता है कि यहाँ के राव राणा को जैन धर्म के प्रति अटल श्रद्धा थी । तभी तो वि. सं. 1224 में हुए जीर्णोद्धार में उन्होंने भी भाग लिया था । अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त तीर्थाधिराज 8 श्री संभवनाथ भगवान, श्वेत ___कोई मन्दिर नहीं हैं । वर्ण, (प्राचीन मूलनायक) पद्मासनस्थ, लगभग 75 कला और सौन्दर्य मन्दिर निर्माण का कार्य सें. मी. (श्वे. मन्दिर)। अति ही सुन्दर ढंग से हुआ है । प्रभु प्रतिमा अति ही तीर्थ स्थल कोजरा गाँव के मध्यस्थ । प्रभावशाली व सुन्दर है । प्राचीनता मन्दिर में गूढमण्डप के एक स्थंभ मार्ग दर्शन 8 नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही पर वि. सं. 1224 में राणा रावसी द्वारा श्री पार्श्वनाथ रोड़ 8 कि. मी. है, जहाँ से आटो, टेक्सी का साधन भगवान के मन्दिर में स्थंभ निर्मित करवाने का 418 श्री कोजरा तीर्थ
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy