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श्री पद्मप्रभुजी तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री पद्मप्रभ भगवान, पद्मासनस्थ, गुलाबी वर्ण, कमल के फूल पर सुशोभित लगभग 67 सें. मी. (दि. मन्दिर) ।
तीर्थ स्थल छोटे से बाड़ा गाँव के बाहर ।
प्राचीनता ® इस गाँव का इतिहास प्राचीन नहीं है । परन्तु यह अलौकिक व चमत्कारिक प्राचीन प्रभु-प्रतिमा यहाँ भूगर्भ से प्रकट होने के कारण इस क्षेत्र का इतिहास भी प्राचीन माना जा सकता है । क्योंकि यह स्पष्ट होता है कि किसी समय यहाँ मन्दिर रहे होंगे । वि. सं. 2001 वैशाख शुक्ला पंचमी के शुभ प्रातः के समय किसान परिवार के दो भाग्यवान माता व पुत्र को अपने खेत में खोदते वक्त इस प्रतिमा के दर्शन हुए । किसान-परिवार फूला न समाया व अपने आप को धन्य समझने लगा । नजदीक के चबूतरे पर छोटे से मन्दिर का रूप देकर प्रतिमा वहाँ विराजित की गयी, जहाँ 18 वर्षों तक रही । तत्पश्चात् वि. सं. 2019 में इस भव्य व विशाल मन्दिर में प्रतिष्ठत किया गया । प्रतिष्ठा-महोत्सव पर राजस्थान के राज्यपाल श्री सरदार हुकुमसिंहजी भी उपस्थित थे।
विशिष्टता * प्रभु-प्रतिमा अति ही चमत्कारिक है । जब से यह प्रतिमा प्रकट हुई उसी दिन से यात्रियों की अत्यन्त भीड़ आने लगी । अनेकों की मान्यता थी कि यहाँ आने पर भूत-प्रेतों से कष्ट सहनेवाले भक्तगण बिना उपचार छुटकारा पाते हैं । यह वृत्तान्त दिन-प्रतिदिन फैलने लगा व इस व्याधि से पीड़ित व अन्य लोग दिन-प्रति दिन ज्यादा संख्या में आने लगे । अभी भी हमेशा अनेकों भक्तगण आते रहते हैं व अपना मनोरथ पूर्ण करते हैं । आज तक अनेकों ने इस उपद्रव से छुटकारा पाया है । यहाँ के मन्दिर की बनावट व मन्दिर के हद की विशालता शायद भारत में बेजोड़ है । इस ढंग का निर्मित मन्दिर अन्यत्र नहीं है ।
अन्य मन्दिर ® जहाँ प्रतिमा प्रकट हुई थी, वहाँ छतरी बनी हुई है, जहाँ यह प्रतिमा 18 वर्ष रही वहाँ . चबूतरा अभी भी कायम है व दूसरी प्रतिमा विराजित की हुई है ।
दिगम्बर जैन मंदिर श्रीपाप्रमजी।
श्री पद्मप्रभ भगवान-पद्मपुरा
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