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________________ श्री सिवेरा तीर्थ तीर्थाधिराज श्री शान्तिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ (श्वे. मन्दिर) । तीर्थ स्थल सिवेरा गाँव के मध्य । प्राचीनता 8 इसका प्राचीन नाम सिपेरक रहने का उल्लेख शिलालेखों में मिलता है । वि. सं. 1109 वैशाख शुक्ला 8 के दिन आचार्य श्री शाँत्याचार्यजी द्वारा यह प्रतिमा प्रतिष्ठित होने का प्रतिमाजी की गादी पर शिलालेख है । इसलिए संभवतः यह तीर्थ बारहवीं सदी पूर्व का हो सकता है। पश्चात् समय समय पर आवश्यक जीर्णोद्धार हुए होंगे। विशिष्टता प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है । अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं है । कला और सौन्दर्य मन्दिर की निर्माण शैली निराले ढंग की है । प्रभु प्रतिमा की कला अति ही आकर्षक है। इसी मन्दिर में कुछ अन्य प्राचीन प्रतिमाओं की कला भी बहुत ही सुन्दर है । __ मार्ग दर्शन 8 नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही रोड़ 8 कि. मी. है, जहाँ से टेक्सी व आटो की सुविधा है । यहाँ से नजदीक का गाँव झाड़ोली है, जो कि. 5 कि. मी. है । मन्दिर तक कार व बस जा सकती है। सुविधाएँ ठहरने के लिए छोटी सी धर्मशाला है, जहाँ पानी, बर्तन की सुविधा है । पेढ़ी 8 श्री कल्याणजी परमानन्दजी पेढ़ी, गाँव : सिवेरा, पोस्ट : झाड़ोली - 307 022. स्टेशन : सिरोही रोड़ जिला : सिरोही, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 02971-33023. SALA Hoo000 100000 श्री शान्तिप्रभु जिनालय-सिवेरा 400
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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