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श्री गोहिली तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री गोड़ी पार्श्वनाथ भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 53 सें. मी. ( श्वे. मन्दिर ) ।
गोहिली गाँव के मध्य ।
तीर्थ स्थल प्राचीनता इसका प्राचीन नाम गोहवलि था, ऐसा उल्लेख मिलता है । मन्दिर में उपलब्ध शिलालेखों से प्रतीत होता है कि यह तीर्थ क्षेत्र विक्रम की तेरहवीं सदी से पूर्व का है । विक्रम सं. 1245 वैशाख शुक्ला प्रतिपदा के दिन यहाँ के ठाकुर द्वारा कुछ भेंट प्रदान करने का इस मन्दिर के एक शिलालेख में उल्लेख मिलता है । समय-समय पर आवश्यक जीर्णोद्धार हुए होंगे, ऐसा लगता है ।
विशिष्टता प्रतिवर्ष पौष कृष्णा दशमी को मेले का आयोजन होता है ।
वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई
अन्य मन्दिर मन्दिर नहीं हैं ।
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कला और सौन्दर्य मन्दिर की निर्माण शैली अति ही आकर्षक है । दूर से ही इस भव्य बावन जिनालय मन्दिर की फहराती ध्वजाएँ यात्रियों को मुग्ध करती हैं ।
मार्ग दर्शन नजदीक का रेल्वे स्टेशन सिरोही रोड़ 27 कि. मी. है, जहाँ से बस व टेक्सी द्वारा सिरोही शहर होकर आना पड़ता है। सिरोही शहर यहाँ से लगभग 3 कि. मी है । सिरोही शहर में भी बस व टेक्सी की सुविधा है । मन्दिर से लगभग 14 कि. मी. पर, यहाँ का बस स्टेण्ड है । मन्दिर तक कार व बस जा सकती हैं ।
सुविधाएँ ठहरने के लिए धर्मशाला है । जहाँ पानी, बिजली की सुविधा हैं। सिरोही शहर ठहरकर ही यहाँ आना अति सुविधाजनक हैं ।
पेढ़ी
श्री पार्श्वनाथ भगवान जैन देरासर पेढ़ी,
पोस्ट : गोहिली - 307 001. जिला सिरोही, प्रान्त राजस्थान, फोन : 02972-31762 पी.पी.
श्री गोड़ी पार्श्वनाथ मन्दिर का अपूर्व दृश्य-गोहिली