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________________ भगवान महावीर के लगभग 350 वर्ष पश्चात् राजा स्थित शिलालेखों आदि के सम्बन्ध में अनुसन्धान की खारवेल ने मगध पर आक्रमण करके कलिंग को मुक्त काफी गुंजाइश है । करवाके पाटलीपुत्र से जिन प्रतिमा पुनः यहाँ पर लाये। अन्य मन्दिर * इस मन्दिर के निकट 4 और कलिंगवासियों ने अपने आराध्यदेवता के पुनः कलिंग में मन्दिर हैं । इस खण्डगिरि पर्वत के सम्मख ही आगमन पर राष्ट्रीय स्तर पर स्वागत किया व राष्ट्रीय उदयगिरि पर्वत है । इन दोनों पर्वत पर गुफाओं में उत्सव मनाया जो जैन-धर्म के प्रति कलिंगवासियों की प्राचीन प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं। अगाध श्रद्धा का प्रतीक था । __ कला और सौन्दर्य * यहाँ गुफाओं में उत्कीर्ण इस कुमारी पर्वत पर जहाँ भगवान महावीर ने अनेकों प्राचीन कलात्मक प्रतिमाएँ अत्यन्त ही दर्शनीय धर्मो पदेश दिया था, वहाँ खारवेल ने जैन साधुओं के हैं । प्राचीन कलात्मक ऐसी प्रतिमाओं के दर्शन अन्यत्र ध्यानादि के लिए गुफाएँ, जिन-मन्दिर आदि बनवाये। दुर्लभ हैं । यहाँ का हाथी-गुफा का शिलालेख पुरातत्व इनके परिवार के सभी लोग जैन धर्मावलम्बी थे । उक्त की दृष्टी से विशेष महत्वपूर्ण है, जो लगभग 2200 व्रतान्त यहाँ की हाथी-गुफा के शिलालेख में उत्कीर्ण हैं। वर्ष प्राचीन माना जाता है । राजा खारवेल ने सातवाहन, वहसतिमित्र आदि अनेकों मार्ग दर्शन * नजदीक का रेल्वे स्टेशन भुवनेश्वर प्रतापी राजाओं को भी हराकर पूरे भारत में विजय यहाँ से लगभग 10 कि. मी. है । जहाँ से बस व पताका फहराई थी । राजा खारवेल वीर योद्धा तो थे टेक्सी की सुविधा है । तलहटी से खण्डगिरि की ऊँचाई ही साथ में धर्मनिष्ठ राजा होने के कारण जनता के 37 मीटर व उदयगिरि की ऊँचाई 33 मीटर है । कर्णाधार बन गये थे । रास्ता सुलभ है । कार व बस तलहटी तक जा सकती खारवेल राजा चेदिवंशज के होने का व इनके पूर्वजों है । बस स्टेण्ड लगभग 12 कि. मी. दूर है। के जैन-धर्मावलम्बी होने का भी उल्लेख मिलता है । सविधाएँ * ठहरने के लिये पहाड़ी की तलहटी में सम्राट खारवेल के पश्चात् उस जिन प्रतिमा का क्या धर्मशाला है, जहाँ पानी, बिजली, बर्तन व बिस्तरों की हुआ, इसके अनुसन्धान की आवश्यकता है । विभिन्न सुविधा है । स्थानों पर भू-उत्खनन से प्राप्त प्राचीन मुद्राओं व पेढ़ी * श्री खण्डगिरि उदयगिरि जैन दिगम्बर सिद्ध खारवेल कालीन शिलालेख यहाँ की प्राचीनता के क्षेत्र कार्यालय इतिहास की साक्षी देते हैं । पोस्ट : खण्डगिरि - 751 030. जिला : भुवनेश्वर, यहाँ के प्राचीन मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान प्रान्त : उड़ीसा, फोन : 0674-470784. थे-ऐसा उल्लेख है । समय-समय पर यहाँ का अनेकों बार उद्धार हुआ होगा, ऐसा प्रतीत होता हैं । विशिष्टता * भगवान श्री आदिनाथ द्वारा निर्वाचित कलिंग जनपद जैन-धर्म का प्रारम्भ से ही मुख्य केन्द्र रहा है । यहाँ अनेकों वीर प्रतापी जैन राजा हुए । यहाँ TAITIN की प्रजा जैन धर्मावलम्बी तो थी ही साथ में उनके दिल में धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा व भक्ति थी। कलिंग देश की जनता व राजाओं का सम्बन्ध दक्षिण के सारे राज्यों के साथ अच्छा था । ___ भगवान श्री पार्श्वनाथ का इस देश में अनेकों बार पदार्पण होने का व भगवान महावीर का इस पर्वत पर भी समवसरण रचा जाने का उल्लेख है । यहाँ पर स्थित हाथी-गुफा का शिलालेख उपलब्ध शिलालेखों में प्राचीनतम माना जाता है । यहाँ पर
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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