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________________ कला और सौन्दर्य * भागीरथी गंगा नदी के श्री अजीमगंज तीर्थ किनारे बसे इस स्थल का दृश्य अति ही सुन्दर है । विशाल प्राचीन इमारतें यहाँ के पूर्व प्रतिभा की याद तीर्थाधिराज * श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान, दिलाती हैं । पद्मासनस्थ, 39 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) । रत्नों की 30 प्रतिमाएँ अति ही सुन्दर व दर्शनीय तीर्थ स्थल * अजीमगंज गाँव के मध्यस्थ । हैं। इस मन्दिर में कसौटी पत्थर में बना बारसाख अति प्राचीनता * वि. की अठारहवीं सदी में मुर्शीदाबाद ही कलात्मक व सुन्दर है । यहाँ के अन्य मन्दिरों की से कई जैन श्रेष्ठीगण यहाँ आकर बसे जिससे यह कलाकृति व प्रतिमाएँ भी अति ही सुन्दर हैं । स्थान भी जन-धन से सम्पन्न बना । श्रेष्ठीगणों द्वारा मार्ग दर्शन * यहाँ का रेल्वे स्टेशन अजीमगंज अनेकों जन उपयोगी कार्य का निर्माण हुआ व अनेकों सिटी है । भागीरथी नदी के तटपर दोनों तरफ मन्दिर व धर्मशालाएँ आदि बनीं । सं. 1750 में पं. आमने-सामने जियागंज व अजीमगंज नगर बसे हुए श्री सौभाग्यविजयजी ने भी अपने स्तवन में यहाँ का वर्णन करते हुए यहाँ के श्रेष्ठीगणों को सुखी व दानी है । जियागंज से नदी पार करके यहाँ आना पड़ता है, लेकिन सुविधाजनक साधन है । सारे मन्दिर लगभग बताया है । यहाँ के श्रेष्ठीगणों द्वारा अन्य तीर्थ स्थानों पर भी मन्दिर निर्माण, जीर्णोद्धार व धर्मशालाएँ-निर्माण 2 कि. मी. में ही है । आदि कार्यों में भी भाग लेने के उल्लेख अनेकों जगह सुविधाएँ * यहाँ पर पंचायती मंदिर में ठहरने मिलते हैं । यहाँ के श्रेष्ठीगण प्रायः जागीरदार थे व की व्यवस्था है । अग्रिम सूचना के आधार पर भोजन बाबू के नाम से सम्बोधित किये जाते थे । आदि का बंदोबस्त किया जा सकता है, परन्तु जियागंज इस मन्दिर का निर्माण लगभग 125 वर्ष पूर्व हआ धर्मशाला में ठहरकर यहाँ आना ज्यादा सुविधाजनक बताया जाता है । है। दिन में ही आना सुविधाजनक है, क्योंकि नाँव द्वारा _ विशिष्टता * बंगाल की पंचतीर्थी का यह भी । नदी पार करनी पड़ती है । मन्दिरों में बिजली व एक मुख्य तीर्थ स्थान है । इस मन्दिर में नवरत्नों की पानी की सुविधा है । प्रतिमाएँ अति ही दर्शनीय हैं । __ पेढ़ी * श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, अन्य मन्दिर * वर्तमान में इसके अतिरिक्त सात पोस्ट : अजीमगंज- 742 122. जिला : मुर्शीदाबाद, और मन्दिर हैं। प्रान्त : पश्चिम बंगाल, फोन : 03483-53312. JI मन्दिर-समूह का दृश्य-अजीमगंज
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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