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________________ श्री पार्श्वनाथ भगवान - काकन्दी इसलिए उनका नाम सुविधिनाथ एवँ गर्भ समय मे माता को पुष्प का दोहला हुआ था इससे उनका नाम पुष्पदन्त भी रखा गया । इन्द्रादिदेवों व ग्रामवासियों ने कल्याणक दिवस अति ही आनन्दपूर्वक मनाये । राज दरबार में भी बधाइयाँ बँटने लगीं । | यूवा होने पर पिता के आग्रह से प्रभु ने राज्यकन्याओं के साथ विवाह किये कई वर्ष तक प्रभु ने राज्य भार संभाला । इनके राज्य काल में जनता आनन्द विभोर थी । एक दिन प्रभु ने संसार को असार समझकर लोकान्तिक देवों की विनती से वर्षीदान देते हुए सहसाम्र वन में एक हजार अन्य राजाओं के संग मार्गशीर्ष कृष्णा 6 के दिन दीक्षा अंगीकार की । प्रभु विहार करते हुए चार माह पश्चात् उसी उद्यान में पुनः आये व मालूर वृक्ष के नीचे कायोत्सर्ग मे रहते हुए कार्तिक शुक्ला 3 मूला नक्षत्र में केवलज्ञान पाया । (एक और मतानुसार नोनसार स्टेशन से 3 कि. मी. 64 दूर स्थित खुखुन्दग्राम ही काकन्दी है जहाँ प्रभु के कल्याणक हुए) । विशिष्टता * वर्तमान चौबीसी के नवमें तीर्थंकर श्री सुविधिनाथ भगवान (पुष्पदन्त) के चार कल्याणक (च्यवन, जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान) होने का सौभाग्य इस पावन भूमि को मिलने के कारण यहाँ का कण-कण पवित्र व वन्दनीय है । जहाँ प्रभु ने जन्म से लेकर दीक्षा तक अपने जीवन का अमूल्य समय बिताया हो, जहाँ प्रभु ने केवलज्ञान पाकर प्रथम देशना दी हो, जहाँ प्रभु के मुखारबिन्द से अमृत रूपी वाणी सुनकर अनेकों भव्य आत्माओं ने अपना अमूल्य मानव भव सफल बनाया हो ऐसी पूण्य व पावन भूमि का किन शब्दों में वर्णन किया जाय। आज भी वे शुद्ध व निर्मल परमाणु यात्रिओं को भाव विभोर कर देते हैं जिससे यात्रीगण प्रभु की भक्ति में लीन होकर महा पुण्योपार्जन कर अपने को धन्य समझते हैं । अन्य मन्दिर • वर्तमान में इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं हैं । इसी मन्दिर में श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्राचीन श्याम वर्ण प्रतिमा मूलनायक स्थान पर चरण पादुका के पास विराजमान हैं । कला और सौन्दर्य मन्दिर के जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो चुका है। इस कार्य में कलकत्ता निवासी श्री कनैयालालजी वैद की निःस्वार्थ सेवा सराहनीय है। मन्दिर में स्थित पार्श्वप्रभु की प्राचीन प्रतिमा अति ही कलात्मक है । मार्ग दर्शन * नजदीक के रेलवे स्टेशन कियूल 19 कि. मी., जमुई 19 कि. मी., लखीसराय 20 कि. मी. व पटना लगभग 125 कि. मी. है। इन स्थानों से बस व टेक्सी का साधन है । गाँव का बस स्टेशन 11⁄2 कि. मी. दूर है। कार व छोटी बस मन्दिर तक जा सकती है । रास्ता तंग होने के कारण बड़ी बस को लगभग 14 कि. मी. दूर ठहराना पड़ता है। सुविधाएँ * ठहरने के लिए मन्दिर के अहाते में ही धर्मशाला है, जहाँ बिजली, पानी की सुविधा है। पेढ़ी * श्री जैन श्वेताम्बर सोसायटी, तीर्थ का पोस्ट : दण्ढ - 811311. व्हाया : लखीसराय, जिला: मूंगेर, प्रान्त: बिहार,
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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