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________________ Saty|सका श्रीजयोग गलाक्ष्य नमस्वामिनाeा सतापक्षनवाए बझाद भाबदार SIसेस नमत नामसारण जहनाया PERISCHER याएका ENERO OJA जनजदीलिपी वरनर. योमान्तर बनाना Hदन RRE करनतारा RTO कामराजर सहि शिपिसाहता श्री महावीर प्रभु, चरण पादुका - अन्तिम देशना व निर्वाण स्थल - पावापुरी यादगार में दीपावली के दिन सारे शहर व गाँव सहसों दीपकों की ज्योति से जगमगा उठते हैं । प्रभु के निर्वाण के समाचार चारों तरफ फैल चुके। लाखों देव व मानवो की भीड़ प्रभु के अन्तिम दर्शनार्थ उमड़ पड़ी । इन्द्रादि देवों व जन समुदाय ने विराट जुलूस के साथ प्रभु की देह को कुछ दूर ले जाकर विधान पूर्वक अन्तिम संस्कार किया । देवी देवतागण व अगणित मानव समुदाय ने प्रभु के देह की कल्याणकारी भस्म को ले जाकर अपने - अपने पूजा गृह में रखा । भस्म न मिलने पर उस भस्म में मिश्रित यहाँ की पवित्र मिट्टी को भी ले गये जिससे यहाँ गड्ढा हो गया । भगवान के ज्येष्ठ भ्राता नन्दीवर्धन ने अन्तिम देशना स्थल एवं अन्तिम संस्कार स्थल पर चौतरें बनाकर प्रभु के चरण स्थापित किये जो आज के गाँव मन्दिर व जल मन्दिर माने जाते हैं । जल मन्दिर में चरण पादुकाओं पर कोई लेख । उत्कीर्ण नहीं हैं । समय-समय पर इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ । पहले इसवेदी पर चरणों के पास सं. 1260 ज्येष्ठ शुक्ला 2 के दिन आचार्य नवीन सुन्दर समवसरण मन्दिर - पावापुरी श्री अभयदेवसूरीश्वरजी द्वारा प्रतिष्ठत महावीर भगवान की एक धातु प्रतिमा थी । वर्तमान में यह प्रतिमा गाँव मन्दिर में हैं । आज का गाँव मन्दिर ही हस्तिपाल की रज्जुगशाला व प्रभु की अन्तिम देशना स्थल माना जाता है । इसी स्थान पर दीपावली पर्व प्रारम्भ हुआ जो अभी भी सारे भारत वर्ष में मनाया जाता है ।
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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