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________________ श्री पावापुरी तीर्थ तीर्थाधिराज * श्री महावीर भगवान, चरण पादुका, श्याम वर्ण, लगभग 18 सें. मी. । (श्वेताम्बर जल मन्दिर) । तीर्थ स्थल * पावापरी गाँव के बाहर सरोवर के मध्य । प्राचीनता * यह क्षेत्र प्राचीन काल में मगध देश के अन्तर्गत एक शहर था । इसे मध्यमा पावा व अपापापुरी कहते थे । भगवान महावीर के समय ही भगवान के परम भक्त मगध नरेश श्रेणिक राजा के पुत्र अजातशत्रु मगध देश के राजा बन चुके थे । आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व अजातशत्रु के राजत्व काल में यहाँ हस्तिपाल नाम का राजा राज्य करता था । सम्भवतः हस्तिपाल माण्डलिक मगधदेश के अन्तर्गत इस गाँव का राजा होगा । उस समय भगवान महावीर चम्पापुरी से विहार करके यहाँ पधारे व राजा हस्तिपाल की रज्जुगशाला में ठहरे । चातुर्मास में भगवान के दर्शनार्थ अनेकों राजागण, श्रेष्ठीगण आदि भक्त आते रहते थे । प्रभु ने प्रथम गणधर श्री गौतमस्वामी को निकटवर्ती गाँव में देवशर्मा ब्राह्मण को उपदेश देने भेजा । कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी के प्रातः काल प्रभु की अन्तिम देशना प्रारम्भ हुई उस समय मल्लवंश के नौ राजा, लिच्छवी वंश के नौ राजा आदि अन्य भक्तगणों से सभा भरी हुई थी । सारे श्रोता प्रभु की अमृतमयी वाणी को अत्यन्त भाव व श्रद्धा पूर्वक सुन रहे थे । प्रभु ने निर्वाण का समय निकट जानकर अन्तिम उपदेश की अखण्ड धारा चालू रखी । इस प्रकार प्रभु 16 पहर "उत्तराध्यायन सूत्र" का निरूपण करते हुए अमावस्या की रात्रि के अन्तिम पहर, स्वाति नक्षत्र में निर्वाण को प्राप्त हुए । इन्द्रादि देवों ने निर्वाण कल्याणक मनाया व उपस्थित राजाओं व अन्य भक्तजनों ने प्रभु के वियोग से ज्ञान का दीपक बुझ जाने के कारण उस रात्रि में घी के प्रकाशमय रत्नदीप जलाये । उन असंख्यों दीपकों से अमावस्या की घोर रात्रि को प्रज्वलित किया गया । तब से दीपावली पर्व प्रारम्भ हुआ । आज भी उस दिन की PARERS REEREIDOE N DESH अन्तिम देशना व निर्वाण स्थल मन्दिर - पावापुरी
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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