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श्री धर्मनाथ भगवान निर्वाण स्थल ट्रॅक - सम्मेतशिखर
करते हुए मोक्ष सिधारे हैं । अनेकों अनेक प्रकाण्ड विद्वान आचार्य भगवन्तों ने यहाँ पदार्पण किया है व अनेकों श्रद्धालु भक्तजनों का यहाँ आवागमन हुआ है एवं कई संघ आये है व आते रहते हैं । - यहाँ की महिमा का जितना वर्णन करें कम हैं । यहाँ की महिमा तो हर तीर्थमाला में व स्तवनों आदि में जन-जन में गाई जाती है ।
अनेक तीर्थंकरों, मुनिगणों की तपोभूमि व निर्वाणभूमि रहने के कारण उन्होंने अपने अन्त-समय में इस पहाड़ पर रहकर धर्मोपदेशना देते हुए इस भूमि के कण-कण को अपने चरणकमलों से स्पर्श किया है । अतः यहाँ का कण-कण महान पवित्र व पूजनीय है । इस भूमि के स्पर्श मात्र से मानव की आत्मा प्रफुल्लित होकर प्रभु के स्मरण में लीन हो जाती है । यहाँ की यात्रा मानव का संकट हरनारी, पुण्योपार्जनकारी व पापविनाशनकारी है । __ यहाँ की भूमि के कण-कण में निर्मलता तो है ही यहाँ के वायु-मण्डल के वातावरण में भी ऐसी अलौकिक शक्ति व गूंज है जिससे मानव अपने आपको प्रभु में खोकर अपने पापों का क्षय करके महान पुण्योपार्जन करता है । आइए हम भी आज प्रभु के निर्वाण स्थलों का स्मरण कर लें ।
प्रातः साढ़े चार-पाँच बजे यात्रा प्रारम्भ करना आवश्यक है । साथ में लकड़ी रखना सुविधाजनक है | भूख सहन न करने वालों के लिये खाने पीने की कुछ सामग्री साथ रखना भी सुविधाजनक होगा । क्योंकि लौटने तक लगभग सायं के चार बज जाते हैं ।
श्री भोमियाजी के मन्दिर से कुछ दूर जाते ही पहाड़ की चढ़ाई प्रारम्भ होती है । यात्रा प्रवास-6 मील चढ़ाव, 6 मील परिभ्रमण, व 6 मील उतराई कुल मिलाकर 18 मील का रास्ता पार करना पड़ता है । इसलिए पहिले श्री भोमियाजी बाबा के दर्शन कर श्रीफल चढ़ाकर आगे चलें ताकि हमारी यात्रा निर्विघ्न शान्तिपूर्वक सम्पन्न हो । भोमियाजी बाबा प्रत्यक्ष व चमत्कारिक हैं । श्रद्धालु भक्तजनों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते है । यहाँ से लगभग 2 मील चलने पर गंधर्व नाला आता है । इस नाले में हर वक्त पानी रहता है । जल अति ही निर्मल व पाचक है । स्थान बहुत ही रमणीय है । यहाँ पर एक श्वेताम्बर
श्री शान्तिनाथ भगवान निर्वाण स्थल ट्रॅक - सम्मेतशिखर