________________
श्री अभिनन्दन भगवान निर्वाण स्थल ट्रॅक - सम्मेतशिखर
यह बाईसवाँ उद्धार माना गया । इस उद्धार के समय भगवान आदिनाथ, श्री वासुपूज्य भगवान, श्री नेमीनाथ भगवान, श्री महावीर भगवान तथा शाश्वत जिनेश्वरदेव श्री ऋषभानन, चन्द्रानन, वारिषेण व वर्धमानन की नई देरियों का निर्माण हुआ। मधुबन में भी कुछ नये जिनालय बने ।
यह पहाड़ जगत्सेठ को भेंट स्वरूप मिला हुआ होने पर भी जगत्सेठ द्वारा दुर्लक्ष्य हो जाने से पालगंज राजाको दे दिया गया था । ई. सं. 1905-1910 के दरमियान पालगंज राजा को धन की आवश्यकता पड़ी । राजा ने पहाड़ बिक्री करने या रहन रखने का सोचा उसपर कलकत्ता के रायबहादुर सेठ श्री बद्रीदासजी जौहरी मुकीम एवं मुर्शीदाबाद निवासी महाराज बहादुरसिंहजी दुगड़ ने राजा की यह मनोभावना जानकर अहमदाबाद के सेठ आणन्दजी कल्याणजी पेढ़ी को यह पहाड़ खरीदने के लिये प्रेरणा दी व सक्रिय सहयोग देने का आश्वासन दिया । श्री आणन्दजी कल्याणजी पेढ़ी ने खरीदने की व्यवस्था करके प्राचीन फरमान आदि देखे सब अनुकूल पाने पर दिनांक 9-3-1918 को रुपये दो लाख बयालीस हजार राजा को देकर यह पारसनाथ पहाड़ खरीदा गया । जिससे पहाड़ पुनः जैन श्वेताम्बर संघ के अधीन आया । इस
कार्य में इन महानुभावों का सहयोग सराहनीय है । उनकी प्रेरणा व सहयोग से ही यह कार्य सम्पन्न हो सका । _ वि. सं. 1980 में आगमोद्धारक पूज्य आचार्य श्री सागरानन्दसूरिजी यहाँ यात्रार्थ पधारे । तब उनकी इच्छा पुनः जीर्णोद्धार करवाने की हुई । उनके समुदाय की विदुषी बालब्रह्मचारिणी साध्वीजी श्री सुरप्रभाश्रीजी के प्रयास से वि. सं. 2012 में जीर्णोद्धार का कार्य प्रारम्भ होकर सं. 2017 में पूर्ण हुआ । यह तेईसवाँ उद्धार था ।
विशिष्टता * भूतकाल की चौबीसियों में भी अनेक तीर्थंकरों ने यहाँ पर मोक्षपद पाया-ऐसी अनुश्रुति है । वर्तमान चौबीसी के 20 तीर्थंकर यहाँ पर से मोक्ष सिधारे हैं । अन्य चार तीर्थंकरों में श्री आदिनाथ भगवान अष्टापद से, श्री वासुपूज्य भगवान चम्पापुरी से, श्री नेमिनाथ भगवान गिरनारजी से, श्री महावीर भगवान पावापुरी से मोक्ष को प्राप्त हुए है । इनके अतिरिक्त अनन्त मुनिगण यहाँ पर कठोर तपश्चर्या
श्री सुमतिनाथ भगवान निर्वाण स्थल ट्रॅक - सम्मेतशिखर
FUmstane.inharumakeSTRA