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________________ था जिसे ग्रामीण लोग केशरिया बाबा कहते थे व भक्ति से सिन्दूर' चढ़ाया करते थे । चांदा, वर्धा, तथा हिंगनघाट आदि स्थानों के श्वेताम्बर जैन संघों के अनुरोध पर सरकार ने ई. सं. 1912 में इस तीर्थ स्थान को पट्टा सहित संघ को सुपुर्द किया। मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल सर फ्रयांक स्लाय ने केशरिया बाबा के दर्शन से प्रभावित होकर इस तीर्थ स्थान के लिए 142 एकड़ जमीन पट्टा बनवाकर सरकार की ओर से भेंट स्वरूप प्रदान की । तत्पश्चात् श्रीसंघ ने इस तीर्थ का पुनः जीर्णोद्धार कराया जो अभी विद्यमान है । अभी पुनः भव्य जीर्णोद्धार का काम चालू है । विशिष्टता विक्रम संवत् 1966 माघ शुक्ला पंचमी के दिन श्री अन्तरिक्ष तीर्थ के मेनेजर श्री चतुर्भुज भाई ने एक स्वप्न देखा कि वे भांडुक के आसपास के घने जंगलों में घूम रहे हैं। अचानक एक नागदेव का दर्शन होता है व नागदेव एक महान तीर्थ का दर्शन कराते हुए संकेत करते हैं कि इस भद्रावती नगरी में श्री केशरिया पार्श्वनाथ भगवान का एक बड़ा तीर्थ है, इसका उद्धार कर । आदेश देने के बाद नागदेव अदृश्य हो जाते हैं। स्वप्न के आधार पर माघ शुक्ला 9 को श्री चतुर्भुज भाई खोज करने निकले। घूमते-घूमते उन्हें उसी तीर्थ स्थान के दर्शन हुए । उन्होंने सारा वृत्तांत चांदा के श्रीसंघ को सुनाया। संघ ने तुरन्त ही उचित कार्यवाही कर, सरकार से उक्त तीर्थ का कार्यभार अपने हस्ते लिया । तभी से भक्तगण प्रभु को स्वप्नदेव श्री केशरिया पार्श्वनाथ भगवान कहने लगे । यहाँ आजकल भी अनेक चमत्कारिक घटनाएँ घटती रहती हैं। प्रति वर्ष पौष कृष्णा 10 को यहाँ मेला लगता है जब दूर दूर के श्रद्धालू भक्तगण हजारों की संख्या में दर्शनार्थ आते है प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ला 3 को ध्वजा चढ़ाई जाती है । I अन्य मन्दिर * इसके अतिरिक्त श्री आदीश्वर भगवान का मन्दिर, गुरु मन्दिर व श्री पद्मावती देवी का मन्दिर भी इसी बगीचे में स्थित हैं । कला और सौन्दर्य * यहाँ भूगर्भ से प्राप्त अनेकों प्राचीन प्रतिमाएँ है । खण्डहर के अनेक अवशेष भी पाये जाते हैं जिनकी विशिष्ट कलात्मकता दर्शनीय हैं। मन्दिर के ऊपर के भाग में चौमुखी प्रतिमा है। यह प्रतिमा अति प्राचीन है। इस चौमुखी प्रतिमा में 208 भगवान श्री पार्श्वप्रभु श्री चन्द्रप्रभु श्री आदिनाथ प्रभु के प्रतिबिम्ब है, जो इस प्रतिमा की विशेषता है । मार्ग दर्शन * तीर्थ स्थल से 111⁄2 कि. मी. दूरी पर निकटतम रेल्वे स्टेशन भांदक है, जहाँ से रिक्शा, टेक्सी की सुविधाएँ उपलब्ध है । चांदा (चन्द्रपुर ) यहाँ से 32 कि. मी है । भांदक, देहली-चेन्नई ग्रांड ट्रंक रूट पर नागपुर - बलहारशा चन्द्रपुर लाईन में है। भद्रावती गाँव के बस स्टेण्ड से तीर्थ स्थल 100 मीटर की दूरी पर है । तीर्थ स्थल तक पक्की सड़क है । सुविधाएँ * बगीचे के अहाते में ही सर्वसुविधायुक्त 3 धर्मशालाएँ है, जहाँ पर भोजनशाला की भी सुविधाएँ उपलब्ध है। नवीन उपाश्रय का भी निर्माण हुआ है । पेढ़ी * श्री जैन श्वेताम्बर मंडल, पोस्ट : भद्रावती 442 902. जिला चन्द्रपुर, प्रान्त महाराष्ट्र, फोन : 07175-66030. प्राचीन चौमुखी प्रभु प्रतिमाएँ भद्रावती
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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