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________________ के राजत्वकाल में यहाँ जैनियों की संख्या विपुल मात्रा में थी व यह क्षेत्र अत्यन्त जाहोजलाली पूर्ण था, जिसके उल्लेख मिलते है । श्री ऋषभसेन, समन्तभद्र, वरदत्त, वादिराज, गजकेसरी आदि आचार्यों की यह तपो भूमि है । तमिल भाषा के अनेकों साहित्य-ग्रंथों में इस क्षेत्र का उल्लेख है । नेमिनाथम-ग्रंथ की रचना गुणवीर पण्डिदर ने यहीं पर की थी । वच्चनन्दिमलै नामक ग्रंथ की रचना भी यहीं पर हुई मानी जाती है । ___ यह क्षेत्र तमिलनाडु की जैनबद्री (श्रवणबेलगोला) कहलाता है । कहा जाता है 75 वर्ष पूर्व तक कर्नाटक में स्थित श्रवणबेलगोला भट्टारक गद्दी के लिए इसी क्षेत्र से विद्वान पण्डित को चुनकर लिया जाता था। इससे यह प्रतीत होता है कि कर्नाटक के श्रवणबेलगोला व तमिलनाडु के तिरुमलै क्षेत्र का अति निकट संबंध था । लगभग 75 वर्ष पूर्व यहाँ श्री शिखामणि शास्त्री नामक विद्वान रहते थे जिन्होंने भी इस क्षेत्र की महिमा का व श्री नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा का वर्णन किया है । यहाँ के ग्रामीण लोग इस प्रतिमा को शिखामणिनाथ के नाम से भी पुकारते हैं । प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ला छठ एवं मकर संक्रान्ति के तृतीय दिवस पौष शुक्ला तृतीया को मेलों का आयोजन होता है । तब हजारों जैन व जैनेतर लोग इकट्ठे होकर अत्यधिक उमंग के साथ प्रभु-भक्ति में लीन होते हैं । अन्य मन्दिर * इसी पहाड़ पर श्री पार्श्वनाथ श्री नेमिनाथ भगवान-तिरुमलै भगवान का एक और मन्दिर है । पहाड़ की चोटी पर श्री ऋषभसेन, समन्तभद्र, वरदत्त आचार्यों की चरणपादुकाएँ हैं । स्टेशन से 5 कि. मी. दूर है, कार व बस आखिर तलेटी पर्वत की तलहटी में पल्लव राजवंशों द्वारा निर्मित तक जा सकती है । यह स्थल आरणी से 14 कि. मी. दो जिनालय हैं । वेलूर से 45 कि. मी. व चेन्नई से लगभग 120 कि. __कला और सौन्दय * यहाँ तलहटी में व पहाड़ पर मी. दूर है । सभी जगहों से बस व टेक्सी का साधन है । स्थित मन्दिरों में प्राचीन कलात्मक प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं । अनेकों धातु-प्रतिमाएँ भी दर्शनीय हैं। पहाड़ सुविधाएँ * वर्तमान में यहाँ ठहरने के लिए कोई पर कई जलकुण्ड व गुफाएँ हैं । इन गुफाओं में मुनि सुविधा नहीं हैं । लोग तपस्या करते थे । एक गुफा में रंग बिरंगे प्राचीन पेढ़ी * श्री जैन मन्दिर, कलात्मक चित्र उत्कीर्ण हैं । गाँव : तिरुमलै, मार्ग दर्शन * यह क्षेत्र तमिलनाड के उत्तर आर्काड पोस्ट : वडमादिमंगलम् -606907. तहसील: आरणी, जिले के आरणी-पोलूर मार्ग में वडमादिमंगलम रेल्वे जिला : उत्तर आरकाट, प्रान्त : तमिलनाडु, 187
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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