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कला और सौन्दर्य मन्दिर का शिखर अत्यन्त श्री वारंग तीर्थ
निराले ढंग से निर्मित हैं । प्राकृतिक सौन्दर्य और
शान्ति के बीच प्राचीन कला का यह सुन्दर नमूना है। तीर्थाधिराज * श्री पार्श्वनाथ भगवान, खड्गासन मार्ग दर्शन * यह स्थल मेंगलोर-शिमोगा मार्ग में की मुद्रा में (दि. मन्दिर) ।
मेंगलोर से 68 कि. मी. और कारकल से 16 कि. मी. तीर्थ स्थल * वनयुक्त पहाड़ी की तलहटी में, गाँव की दूरी पर है । यहाँ के बस स्टेण्ड से मन्दिर लगभग के बाहर, सरोवर के मध्यस्थ ।
कि. मी. है । मन्दिर तक पक्की सड़क है। यहाँ प्राचीनता * मनि श्री शीलविजयजी ने विक्रम सं. से मुडबिद्री 39 कि. मी. धर्मस्थल 92 कि. मी. वेणुर 1710-11 में यात्रार्थ भ्रमण किया तब यहाँ भी 65 कि. मी. बेलुर-हलेबीड 271 कि. मी. व श्रवणबेलगोला पधारे थे । उस समय यहाँ 60 जिन मन्दिर विद्यमान 351 कि. मी. दूर है । थे, ऐसा उल्लेख मिलता है । कहा जाता है यह सुविधाएँ फिलहाल यहाँ पर ठहरने के लिए विशेष कर्नाटक का प्राचीन तीर्थ है । कोई समय यह स्थल । सुविधाएँ नहीं है । अनिवार्यता होने पर मठ के हॉल जाहोजलालीपूर्ण था ।
में करीब 25 व्यक्तियों के लिए ठहरने की सुविधा विशिष्टता * यह मन्दिर दक्षिण प्रान्त के जल है । मुख्य कार्यालय हुमचा है। मन्दिर के नाम से विख्यात है । हर शुक्रवार को यहाँ पेढ़ी श्री वारंग अतिशय महाक्षेत्र, सैकड़ों दर्शनार्थी आकर पूजा में तल्लीन रहते हैं । स्वस्ति श्री देवेन्द्र कीर्ति स्वामीजी वारंग जैन मठ, उनके कथनानुसार यहाँ आने से उनकी मनोकामनाएं पोस्ट : वारंग - 574 104. तहसील : कारकल, पूर्ण होती है ।
जिला : दक्षिण केनरा, प्रान्त : कर्नाटक, अन्य मन्दिर * इस जल मन्दिर के अतिरिक्त फोन : 08253-59408 व 59431 पी.पी. इसके निकट में ही 2 और मन्दिर विद्यमान है ।
जल मन्दिर-वारंग
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