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श्री हुम्बज तीर्थ
तीर्थाधिराज * श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्याम वर्ण, अर्द्ध पद्मासनस्थ, लगभग 120 सें. मी. (दि. मन्दिर ) ।
तीर्थ स्थल * हुम्बज गाँव के मध्य ।
श्री पार्श्वनाथ भगवान - हुम्बज
प्राचीनता * इस तीर्थ की स्थापना विक्रम की सातवीं शताब्दी में सांतर राजवंश के संस्थापक श्री जिनदत्तराय के द्वारा हुई जो मथुरा के राजा श्री साकार के सुपुत्र थे I
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विशिष्टता राजकुमार जिनदत्तराव मथुरा से श्री पद्मावती देवी की प्रतिमा घोड़े पर लेकर आते समय,
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यहाँ स्थित लक्की वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे, जो आज भी मौजूद है। तब स्वप्न में यहीं पर उन्हें अपनी राजधानी बसाने की अदृश्य प्रेरणा मिली। पद्मावती देवी के चरणों से स्पर्श होने पर लोहा भी सोना बन जाने का संकेत उन्हें मिला था । अस्तु उन्होंने यहीं पर अपनी नयी राजधानी बसाकर मन्दिर बनवाया था । यहाँ पर स्थित मठ में नवरत्नों की प्रतिमाएँ भी अति दर्शनीय हैं। स्वस्ती श्री देवेन्द्र कीर्ति भट्टाचार्य जी की गादी यहाँ है जहाँ पर स्वामीजी विराजते हैं । श्री पद्मावती देवी का स्योत्सव प्रति वर्ष मार्च महीने में "मूला नक्षत्र" के दिन होता है। इस अवसर पर भारत के कोने-कोने से हजारों यात्री आते है। यहाँ देदीप्यमान पद्मावती देवी की आरती हर भक्त के हृदय में भक्ति का श्रोत बहाती है। पद्मावती देवी का मन्दिर इतना जाहोजलाली पूर्ण अन्यत्र नहीं है । देवी के दर्शन मात्र से श्रद्धालु भक्तजनों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। अनेकों भक्तगण यहाँ आते रहते हैं, जिससे यहाँ सदैव ही मेला-सा लगा रहता है ।
अन्य मन्दिर * श्री भगवान पार्श्वनाथ मन्दिर व श्री पद्मावती देवी के मन्दिरों के अतिरिक्त तीन मन्दिर व पहाड़ी पर 7 मन्दिर और हैं जिनमें पार्श्वनाथ भगवान की 21 फीट उतंग प्रतिमा अतीव दर्शनीय है।
कला और सौन्दर्य * सभी मन्दिरों में कई प्राचीन प्रतिमाएँ हैं जिनकी कला दर्शनीय है । यहीं पर एक
लक्की वृक्ष - हुम्बज