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Partime
इस प्रकार श्री चन्द्रप्रभ भगवान के चार कल्याणक च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान यहाँ हुए, जिनकी उपरोक्त तिथियाँ श्वे. मान्यतानुसार हैं । __ इस तीर्थ की व्याख्या शास्त्रों में, तीर्थ मालाओं आदि में हुई हैं । चौदहवीं शताब्दी में आचार्य श्री जिनप्रभसूरीश्वरजी द्वारा रचित 'विविध तीर्थ-कल्प' में भी इस तीर्थ का उल्लेख है । इसके निकट अनेकों प्राचीन टीले व टेकरियाँ हैं अगर शोध-कार्य किया जाय तो यहाँ अनेकों प्रागैतिहासिक अवशेष व सामग्री के मिलने की सम्भावना है ।
विशिष्टता * आठवें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभ भगवान के चार कल्याणक (च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान) होने का सौभाग्य इस पवित्र भूमि को प्राप्त होने के कारण यहाँ का कण-कण वन्दनीय हैं । ___ जहाँ प्रभु ने जन्म से केवलज्ञान तक अपने जीवन काल के अमूल्य दिन व्यतीत कियें हों उस जगह की महत्ता अवर्णनीय है । प्रभु के काल में तो अनेकों भव्य आत्माओं ने अपना जीवन सार्थक बनाया ही होगा । परन्तु अभी भी यहाँ के शुद्ध परमाणुओं से यात्रीगण अपनी आत्मा में विशेष शान्ति का अनुभव करते हैं व यहाँ आते ही बाह्य वातावरण भूलकर स्वतः प्रभु स्मरण में लीन होकर अपना मानव भव सफल बनाते हैं ।
अन्य मन्दिर * वर्तमान में इनके अतिरिक्त और कोई मन्दिर नहीं हैं । ___ कला और सौन्दर्य * यहाँ की प्राचीन कला संभवतः टीलों के गर्भ में है, खुदाई करने पर प्राप्त हो सकती हैं । गंगा नदी के तट पर स्थित इस पावन तीर्थ का प्राकृतिक सौन्दर्य अति ही मनोहर है ।
मार्ग दर्शन * नजदीक के रेल्वे स्टेशन कादीपुर 5 कि. मी. व बनारस 23 कि. मी. हैं । वहाँ से टेक्सी व बस की सुविधा है । बनारस ठहरकर आना सविधाजनक हैं । बस बनारस-गाजीपुर मुख्य सड़क
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Sansaapaedododchauroperfasgull mage/MAHAGAINS TAJIAN/ABADMINATANGARH
चन्द्रजभू भगव
श्री चन्द्रप्रभ भगवान (दि.) - चन्द्रपुरी